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ईश्वर -कृपा

#ईश्वर -कृपा #जीवन मे संतुलन # सामर्थ्य #आशा की किरण # सभी की खुशी

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पैसा, आलीशान घर, महंगी गाड़ियां और धन-दौलत #ईश्वर_कृपा नहीं है।

इस जीवन में अनेक संकट और विपदाएं जो हमारी जानकारी के बिना ही गायब हो जाती हैं, वह ईश्वर कृपा है।

कभी-कभी सफ़र के दौरान भीड़ वाली जगह में धक्का-मुक्की के बावजूद हम किसी तरह से गिरते-गिरते बच जाते हैं और संतुलन बना लेते हैं। वह संतुलन जिसने हमें गिरने से बचाया, वह ईश्वर कृपा है।

जब कभी एक समय का भोजन भी मिलना मुश्किल हो, फिर भी हमें पेट भर खाने को मिले, वह ईश्वर कृपा है।

जब हम अनेक मुश्किलों के बोझ तले दबे हों, फिर भी हम इनका सामना करने का सामर्थ्य महसूस करें, वह सामर्थ्य ईश्वर कृपा है।

जब हम बिल्कुल हार मानने ही वाले हों और ये सोच लें कि अब सब कुछ ख़त्म हो चुका है। तभी, उसी क्षण, हमे आशा की एक किरण दिखाई देने लगे और आप फिर से संघर्ष के लिए तैयार हो जाएं, वह आशा ईश्वर कृपा है।

जब विपत्ति के समय हमे सभी सगे-संबंधी हमे अकेला छोड़ दें, एक ईश्-बंधु (कोई मित्र, भक्त या भगवान को मानने वाला भाई-बहन) आए और हमसे कहे- “तुम आगे बढ़ो, हम तुम्हारे साथ हैं।”, उस ईश्-बंधु के हिम्मत देने वाले शब्द ईश्वर कृपा है।

जब हम कामयाबी के शिखर पर हों, पैसा और ख़ुशियां भरपूर हों, उस वक़्त भी हम स्वयं को ज़मीन से जुड़ा और विनम्र महसूस करें, वह ईश्वर कृपा है।

केवल धन, ऐश्वर्य और सफलता का होना ही ईश्वर कृपा नहीं हैं; लेकिन जब हमारे पास ये चीज़ें न हों, फिर भी हम ख़ुश, संतुष्ट और स्वयं को धन्य महसूस करें, वह ईश्वर कृपा है।

कामना करते हैं कि हर किसी को प्रत्येक रूप में ईश्वर कृपा प्राप्त होती रहे..!!

जय श्रीरामपैसा, आलीशान घर, महंगी गाड़ियां और धन-दौलत #ईश्वर_कृपा नहीं है। इस जीवन में अनेक संकट और विपदाएं जो हमारी जानकारी के बिना ही गायब हो जाती हैं, *वह ईश्वर कृपा है।* कभी-कभी सफ़र के दौरान भीड़ वाली जगह में धक्का-मुक्की के बावजूद हम किसी तरह से गिरते-गिरते बच जाते हैं और संतुलन बना लेते हैं। वह संतुलन जिसने हमें गिरने से बचाया, *वह ईश्वर कृपा है।* जब कभी एक समय का भोजन भी मिलना मुश्किल हो, फिर भी हमें पेट भर खाने को मिले, *वह ईश्वर कृपा है।* जब हम अनेक मुश्किलों के बोझ तले दबे हों, फिर भी हम इनका सामना करने का सामर्थ्य महसूस करें, *वह सामर्थ्य ईश्वर कृपा है।* जब हम बिल्कुल हार मानने ही वाले हों और ये सोच लें कि अब सब कुछ ख़त्म हो चुका है। तभी, उसी क्षण, हमे आशा की एक किरण दिखाई देने लगे और आप फिर से संघर्ष के लिए तैयार हो जाएं, *वह आशा ईश्वर कृपा है।* जब विपत्ति के समय हमे सभी सगे-संबंधी हमे अकेला छोड़ दें, एक ईश्-बंधु (कोई मित्र, भक्त या भगवान को मानने वाला भाई-बहन) आए और हमसे कहे- “तुम आगे बढ़ो, हम तुम्हारे साथ हैं।”, *उस ईश्-बंधु के हिम्मत देने वाले शब्द ईश्वर कृपा है।* जब हम कामयाबी के शिखर पर हों, पैसा और ख़ुशियां भरपूर हों, उस वक़्त भी हम स्वयं को ज़मीन से जुड़ा और विनम्र महसूस करें, *वह ईश्वर कृपा है।* केवल धन, ऐश्वर्य और सफलता का होना ही ईश्वर कृपा नहीं हैं; लेकिन जब हमारे पास ये चीज़ें न हों, फिर भी हम ख़ुश, संतुष्ट और स्वयं को धन्य महसूस करें, *वह ईश्वर कृपा है।* *कामना करते हैं कि हर किसी को प्रत्येक रूप में ईश्वर कृपा प्राप्त होती रहे..!!*

*जय श्रीराम*

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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