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ख़ुशी और सुकून

ख़ुशी और सुकून एक लड़का सुबह- सुबह तालाब के  किनारे दौड़ने को जाता था और आतेजाते एक बूढी महिला को देखता। वो बूढी महिला हर रोज तालाब के किनारे छोटे-छोटे कछुवों की पीठ को साफ़ किया करती और वह यह...

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दान और सम्मान

दान और सम्मान एक समय की बात है। एक नगर में एक कंजूस राजेश नामक व्यक्ति रहता था। उसकी कंजूसी सर्वप्रसिद्ध थी। वह खाने, पहनने तक में भी कंजूस था। एक बात उसके घर से एक कटोरी गुम हो गई।...

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जगन्नाथ मंदिर

जगन्नाथ मंदिरपुरी के राजा स्वयं अपने हाथों से झाडू़ लगाते हैं,और वो सोने की झाड़ू से होती है सफाई…! आज भी हर वर्ष जगन्नाथ यात्रा के उपलक्ष्य में सोने की झाड़ू से पुरी के राजा खुद झाड़ू लगाने आते है..तस्वीर...

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मृत्यु क्यों महत्वपूर्ण है…??

मृत्यु क्यों महत्वपूर्ण है...?? मृत्यु से सभी डरते हैं, लेकिन जन्म और मृत्यु सृष्टि के नियम हैं...यह ब्रह्मांड के संतुलन के लिए आवश्यक है। इसके बिना मनुष्य एक दूसरे पर हावी हो जाएंगे। कैसे...?? यह कहानी पढ़ें...! एक बार एक...

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जब मीरा पहुंची वृन्दावन

जब मीरा पहुंची वृंदावन उस समय वृंदावन के इस मंदिर में स्त्रियों का प्रवेश निषिद्ध था, क्योंकि उस मंदिर का जो महंत था, वह स्त्रियां नहीं देखता था; वह कहता था: ब्रह्मचारी को स्त्री नहीं देखनी चाहिए। तो वह स्त्रियां...

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मुक्ति

मुक्ति एक दिन एक राजा ने राजपंडित को बुलाया और उसे बहुत सख्ती से आदेश दिया की,राजा परीक्षित ने सुखदेव से भगवत गीता सुनकर मोक्ष प्राप्त किया था।उन्हें केवल सात दिन लगे। मैं आपको सभी बंधनों से मुझे मुक्त कराने...

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सुख दुख का शाश्वत नियम

सुख दुख का शाश्वत नियम घुप्प अंधेरी रात में एक व्यक्ति नदी में कूद कर आत्महत्या करने का विचार कर रहा था। वर्षा के दिन थे और नदी पूरे उफान पर थी। आकाश में बादल घिरे थे और रह-रहकर बिजली...

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भंडारा, धर्म और हम

भण्डारा, धर्म और हम ज्यादातर लोगों की आदत होती है जहां कहीं भंडारा देखा, तुरंत ही प्रसाद समझकर लेकर खाने लगते है। बल्कि इतना ही नहीं कुछ लोग तो पॉलीथिन में रखकर भंडारे का प्रसाद घर भी ले जाते हैं,...

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ये दुनिया कैसी है

ये दुनिया कैसी है एक व्यक्ति ने अपने गुरु से पूछा-  मेरे कर्मचारी, मेरी पत्नी,मेरे बच्चे और सभी लोग मतलबी हैं।  कोई भी सही नहीं हैं क्या करूँ ?... गुरु थोडा मुस्कुराये और उसे एक कहानी सुनाई। एक गाँव में...

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ईश्वर का करिश्मा

ईश्वर का करिश्मा इंसानी शरीर की उँगलियों में लकीरें तब बनने लगती हैं जब इंसान माँ के गर्भ में 4 माह तक पहुँचता है..ये लकीरें एक रेडियोएक्टिव लहर की सूरत में मांस पर बनना शुरू होती हैं इन लहरों को...

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