रामायण समाज के लिये है, गीता व्यक्ति के लिये है
रामायण समाज के लिये है, गीता व्यक्ति के लिये है प्रभु राम को वियोग में रुदन के लिये अरण्य मिला जहाँ वो फूट फूट कर रो सकते थे और रोये भी क्योंकि एक ही पत्नी थी। श्रीकृष्ण भगवान तो राधा...
रामायण समाज के लिये है, गीता व्यक्ति के लिये है प्रभु राम को वियोग में रुदन के लिये अरण्य मिला जहाँ वो फूट फूट कर रो सकते थे और रोये भी क्योंकि एक ही पत्नी थी। श्रीकृष्ण भगवान तो राधा...
सर्वनिंदक महाराज एक थे सर्वनिंदक महाराज, काम-धाम कुछ आता नहीं था पर निन्दा हर चीज की बहुत बढिया करते थे। हमेशा औरों के काम में टाँग अड़ाते थे। अगर कोई व्यक्ति मेहनत करके सुस्ताने भी बैठता तो कहते, 'मूर्ख एक...
बरगद का पेड़ किसी गांव में बरगद का एक पेड़ बहुत वर्षों से खड़ा था। गांव के सभी लोग उसकी छाया में बैठते थे, गांव की महिलाएं त्यौहारों पर उस वृक्ष की पूजा किया करती थीं। ऐसे ही समय बीतता...
मालिक ने देख लिया😊 एक मामूली सा चोर था, जो लोगों के खेतों से धान चुराया करता था। चोर के परिवार में उसकी पत्नी और उसका एक बेटा रहता था। आज पहली बार चोर ने सोचा कि अपने बेटे को...
आखिरी भरोसा ईश्वर एक राजा बहुत दिनों से पुत्र की प्राप्ति के लिए आशा लगाए बैठा था लेकिन पुत्र नहीं हुआ,उसके सलाहकारों ने तांत्रिकों से सहयोग लेने को कहा। सुझाव मिला कि किसी बच्चे की बलि दे दी जाए तो...
कोई छोटा बड़ा नहीं एक छोटे से कस्बे में शंभू शिल्पकार रहता था। वह पहाड़ों से बड़े-बड़े पत्थर तोड़कर लाता और उसे आकार देकर मूर्तियां बनाता। इस रोजगार में मेहनत बहुत ज्यादा थी , आमदनी कम। दिन भर धूप पसीने...
बाज का शिकार बाज के बच्चे ने अभी-अभी उड़ना सीखा था… उत्साह से भरा होने के कारण वह हर किसी को अपनी कलाबाजियां दिखाने में लगा था। तभी उसने पेड़ के नीचे एक सूअर के बच्चे को भागते देखा, ”...
याद रखना तुम नज़र में हो एक दिन सुबह-सुबह दरवाजे की घंटी बजी। दरवाजा खोला तो देखा एक आकर्षक कद- काठी का व्यक्ति चेहरे पे प्यारी सी मुस्कान लिए खड़ा है। मैंने कहा, "जी कहिए.." तो उसने कहा,अच्छा जी, आप...
श्री बुद्ध पूर्णिमा भगवान बुद्ध नौवें अवतार थे। उन्होंने जनहित में बुद्धि, धर्म और संघ को प्रधानता दी। तप और पुरुषार्थ किया। उच्च आत्माओं का समुदाय समेट, उसे प्रशिक्षित करने और आलोक वितरण के लिए विश्व के कोने-कोने में भेजा।...
मातृ देवो भवः माँ सृजन करती है इसलिए वह ब्रह्माणी है। माँ पालन करती है इसलिए वह वैष्णवी है और अपने बच्चों में संस्कारों को सृजित कर दुर्गुणों का नाश करती है इसलिए माँ ही रुद्राणी है। माँ का प्यार...