सुविचार-सुन्दरकाण्ड-64
जय श्री राधे कृष्ण ……. "सुनत बचन पद गहि समुझाएसि, प्रभु प्रताप बल सुजसु सुनाएसि, निसि न अनल मिल सुनु सुकुमारी, अस कहि सो निज भवन सिधारी…..!! भावार्थ:- सीता जी के वचन सुन कर त्रिजटा ने चरण पकड़ कर उन्हें...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "सुनत बचन पद गहि समुझाएसि, प्रभु प्रताप बल सुजसु सुनाएसि, निसि न अनल मिल सुनु सुकुमारी, अस कहि सो निज भवन सिधारी…..!! भावार्थ:- सीता जी के वचन सुन कर त्रिजटा ने चरण पकड़ कर उन्हें...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "आनि काठ रचु चिता बनाई, मातु अनल पुनि देहि लगाई, सत्य करहि मम प्रीति सयानी, सुनै को श्रवन सूल सम वानी…..!! भावार्थ:- काठ लाकर चिता बना कर सजा दे। हे माता! फिर उसमें आग लगा...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "जहँ तहँ गईं सकल तब सीता कर मन सोच, मास दिवस बीतें मोहि मारिहि निसिचर पोच…..!! भावार्थ:- तब (इसके बाद) वे सब जहाँ तहाँ चलीं गईं । सीता जी मन में सोच करने लगीं कि...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "यह सपना मैं कहऊँ पुकारी, होइहि सत्य गएँ दिन चारी, तासु बचन सुनि ते सब डरीं, जनकसुता के चरनन्हिं परीं…!! भावार्थ:- मैं पुकार कर (निश्चय के साथ) कहती हूँ कि यह स्वप्न चार (कुछ ही)...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "एहि बिधि सो दच्छिन दिसि जाई, लंका मनहुँ बिभीषन पाई, नगर फिरी रघुबीर दोहाई, तब प्रभु सीता बोलि पठाई……!! भावार्थ :- इस प्रकार से वह दक्षिण (यमपुरी की) दिशा को जा रहा है और मानो...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "सपनें बानर लंका जारी, जातुधान सेना सब मारी, खर आरूढ नगन दससीसा, मुंडित सिर खंडित भुज बीसा….!! भावार्थ:- मैंने स्वप्न देखा कि एक बंदर ने लंका जला दी । राक्षसों की सारी सेना मार डाली...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "त्रिजटा नाम राच्छसी एका, राम चरन रति निपुन बिबेका, सबन्हौ बोलि सुनाएसि सपना, सीतहि सेइ करहु हित अपना….!! भावार्थ:- उनमें एक त्रिजटा नाम की राक्षसी थी। उसकी श्री राम चंद्र जी के चरणों में प्रीति...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "मास दिवस महुँ कहा न माना, तौं मैं मारबि काढ़ि कृपाना…..!! भावार्थ:- यदि महीने भर में यह कहा न माने तो मैं इसे तलवार निकाल कर मार डालूँगा ।। भवन गयउ दसकंधर इहाँ पिसाचिनि बृन्द,...
जय श्री राधे कृष्ण ……. " जीवन मे "महत्वपूर्ण" यह नही है कि हमारी उम्र क्या है बल्कि "महत्वपूर्ण" यह है कि हम सोच किस उम्र की रखते हैँ….!! सुप्रभात आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो.....
जय श्री राधे कृष्ण ……. "सुनत बचन पुनिमारन धावा, मयतनयां कहि नीति बुझावा, कहेसि सकल निसिचरिन्ह बोलाई, सीतहि बहु बिधि त्रासहु जाई ।। भावार्थ:- सीता जी के ये वचन सुनते ही वह मारने दौड़ा । तब मय दानव की पुत्री...