सुविचार
जय श्री राधे कृष्ण ……. "गलत व गलती में बहुत छोटा फर्क होता है। गलत सदा गलत नीयत से ही संभव होता है जबकि गलती सदा भूलवश होती है इसलिए गलतियां तो कीजिये पर गलत किसी के साथ मत कीजिये….!!...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "गलत व गलती में बहुत छोटा फर्क होता है। गलत सदा गलत नीयत से ही संभव होता है जबकि गलती सदा भूलवश होती है इसलिए गलतियां तो कीजिये पर गलत किसी के साथ मत कीजिये….!!...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "कह कपि हृदयँ धीर धरु माता, सुमिरु राम सेवक सुखदाता, उर आनहु रघुपति प्रभुताई, सुनि मन बचन तजहु कदराई….!! भावार्थ:- हनुमान जी ने कहा- हे माता ! हृदय में धैर्य धारण करो और सेवकों को...
जय श्री राधे कृष्ण ……. " रोता वहीं है जिसने रिश्तों को सच्चाई से निभाया हो, वरना मतलब का रिश्ता रखने वाले की आंखों में न तो शर्म होती है और न ही पानी……!! सुप्रभात आज का दिन प्रसन्नता से...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "सो मनु सदा रहत तोहि पाही, जानु प्रीति रसु एतनेहि माहीं, प्रभु सन्देसु सुनत बैदेही, मगन प्रेम तन सुधि नहिं तेही……!! भावार्थ:- और वह मन सदा तेरे ही पास रहता है। बस मेरे प्रेम का...
जय श्री राधे कृष्ण ……. " दुनिया के तानों से कभी नाराज मत होना, अनजान लोग तो हीरे को भी कांच समझ लेते हैं…!! सुप्रभात आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो.....
जय श्री राधे कृष्ण ……. "कहेहू ते कछु दुख घटि होई, काहि कहौं यह जान न कोई, तत्व प्रेम कर मम अरु तोरा, जानत प्रिया एकु मनु मोरा…..!! भावार्थ:- मन का दुख कह डालने से भी कुछ घट जाता है।...
देश की राजनीति में भी स्वर्गीय रामचंद्र परमहंस दास का दबदबा बना रहता था. तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई श्री रामचंद्र परमहंस दास के निधन पर अयोध्या के सरयू तट पर जाकर उनको श्रद्धांजलि दिए थे. परमहंस दास जी के...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "कुबलय बिपिन कुंत बन सरिसा, बारिद तपत तेल जनु बरिसा, जे हित रहे करत तेई पीरा, उरग स्वास सम त्रिबिध समीरा…..!! भावार्थ:- और कमलों के वन भालों के वन के समान हो गए हैं ।...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "कहेउ राम बियो तव सीता, मो कहु सकल भए बिपरीता, नव तरु किसलय मनहुँ कृसानू, कालनिसा सम निसि ससि भानू…..!! भावार्थ:- (हनुमान जी बोले), श्री रामचंद्र जी ने कहा है कि हे सीते! तुम्हारे वियोग...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "रघुपति कर संदेसु अब सुनु जननी धरि धीर, अस कहि कपि गदगद भयउ भरे बिलोचन नीर….!! भावार्थ:- हे माता! अब धीरज धर कर श्री रघुनाथ जी का संदेश सुनिए। ऐसा कह कर हनुमान जी प्रेम...