lalittripathi@rediffmail.com
Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-304

53Views

जय श्री राधे कृष्ण …..

बिनय न मानत जलधि जड़ गए तीनि दिन बीति, बोले राम सकोप तब भय बिनु होइ न प्रीति ।।

भावार्थ:– इधर तीन दिन बीत गए, किंतु जड़ समुद्र विनय नहीं मानता । तब श्री राम जी क्रोध सहित बोले – बिना भय के प्रीति नहीं होती…..!!

दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

Leave a Reply