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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-284

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जय श्री राधे कृष्ण …..

पूँछिहु नाथ राम कटकाई, बदन कोटि सत बरनि न जाई, नाना बरन भालु कपि धारी, बिकटानन बिसाल भयकारी ।।

भावार्थ:– हे नाथ! आपने श्री राम जी की सेना पूछी, सो वह तो सौ करोड़ मुखों से भी वर्णन नहीं की जा सकती। अनेकों रंगों के भालू और वानरों की सेना है, जो भयंकर मुख वाले विशाल शरीर वाले और भयानक हैं……!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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