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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-162

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जय श्री राधे कृष्ण …….

चलत मोहि चूड़ामणि दीन्ही, रघुपति हृदयँ लाइ सोइ लीन्ही, नाथ जुगल लोचन भरि बारी, बचन कहे कछु जनक कुमारी ।।

भावार्थ:- चलते समय उन्होंने मुझे चूड़ामणि (उतार कर) दी । श्री रघुनाथ जी ने उसे ले कर हृदय से लगा लिया । (हनुमान जी ने फिर कहा) हे नाथ! दौनों नेत्रों में जल भर कर जानकी जी ने मुझसे कुछ वचन कहे………!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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