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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-156

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जय श्री राधे कृष्ण …….

प्रीति सहित सब भेंटे रघुपति करुना पुंज, पूछी कुसल नाथ अब कुसल देखि पद कंज ।।

भावार्थ:- दया की राशि श्री रघुनाथ जी सबसे प्रेम सहित गले लग कर मिले और कुशल पूछी । वानरों ने कहा, हे नाथ ! आपके चरण कमलों के दर्शन पाने से अब कुशल है……!

दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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