lalittripathi@rediffmail.com
Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-68

113Views

जय श्री राधे कृष्ण …….

कपि करि हृदयँ बिचार दीन्हि मुद्रिका डारि तब, जनु असोक अंगार दीन्ह हरषि उठि कर गहेउ…..!!

भावार्थ:- तब हनुमान जी ने हृदय में विचार कर (सीता जी के सामने) अंगूठी डाल दी, मानो अशोक ने अंगारा दे दिया । (यह समझ कर) सीता जी ने हर्षित हो कर उठ कर उसे हाथ में ले लिया….!!

दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

Leave a Reply