जय श्री राधे कृष्ण …….
जानत हूं अस स्वामि बिसारी, फिरहि ते काहे न होहि दुखारी, एहि बिधि कहत राम गुन ग्रामा, पावा अनिर्बाच्य विश्रामा…..!!
भावार्थ:- जो जानते हुए भी ऐसे स्वामी श्री रघुनाथ जी को भुलाकर (विषयों के पीछे) भटकते फिरते हैं वह दुखी क्यों न हों ? इस प्रकार श्री राम जी के गुण समूहों को कहते हुए उन्होंने अनिर्वचनीय (परम) शांति प्राप्त की……!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..