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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-13

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जय श्री राधे कृष्ण …….

निसिचर एक सिंधु महुँ रहई, करि माया नभु के खग गहई, जीव जन्तु जे गगन उड़ाहीं, जल बिलोकि तिन्ह कै परिछाहीं…..!!

भावार्थ:- समुद्र में एक राक्षसी रहती थी। वह माया करके आकाश में उड़ते हुए पक्षियों को पकड़ लेती थी। आकाश में जो जीव जंतु उड़ा करते थे वह जल में उनकी परछाई देखकर …… !!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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