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Year Archives: 2024

Stories

खाली हाथ

खाली हाथ अधिकतम लोग असफल मरते हैं। यह हो सकता है कि उन्होंने बड़ी सफलताएं पाई हों संसार में। यह हो सकता है कि उन्होंने बहुत यश और धन अर्जित किया हो। लेकिन फिर भी असफल मरते हैं, क्योंकि हाथ...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-106

जय श्री राधे कृष्ण ……. "उठि बहोर कीन्हिसि बहु माया, जीति न जाइ प्रभंजन जाया ।। भावार्थ:- फिर उठ कर उसने बहुत माया रची, परन्तु पवन के पुत्र उससे जीते नहीं जाते ।। ब्रह्म अस्त्र तेहि साधा कपि मन कीन्ह...

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भगवान की गोद में सिर

भगवान की गोद में सिर        एक लड़की ने, एक सन्त जी  को बताया कि मेरे पिता बहुत बीमार हैं और अपने पलंग से उठ भी नहीं सकते क्या आप उनसे मिलने हमारे घर पे आ सकते हैं। सन्त जी...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-105

जय श्री राधे कृष्ण ……. "तिन्हहि निपाति ताहि सन बाजा, भिरे जुगल मानहुँ गजराजा, मुठिका मारि चढ़ा तरु जाई, ताहि एक छन मुरुछा आई!! भावार्थ:- उन सब को मार कर फिर मेघनाद से लड़ने लगे । (लड़ते हुए वे ऐसे...

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रिश्तों का दर्द

रिश्तों का दर्द “अरे, आप इन्दू दी हैं ना.... यहां! इस इण्टरव्यू में !! इतने दिनों बाद!” प्रधानाचार्या रति शर्मा कक्ष के दरवाज़े को खोलकर अन्दर प्रवेश करती हुई महिला को देखकर चौंकते हुए बोली।  आश्‍चर्य से उनकी आंखें फैल...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-104

जय श्री राधे कृष्ण ……. अति बिसाल तरु एक उपारा, बिरथ कीन्ह लंकेश कुमारा, रहे महाभट ताके संगा, गहि गहि कपि मर्दइ निज अंगा!! भावार्थ:- उन्होंने एक बहुत बड़ा वृक्ष उखाड़ लिया और (उस के प्रहार से) लंकेश्वर रावण के...

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सुपरहीरो

सुपरहीरो "सर कुछ काम नहीं है तो आज मैं थोड़ा जल्दी निकल जाऊं ।" एक घंटे से कुर्सी पर बैठे घड़ी की सुइयां देख रहे रघु ने प्रकाश के कैबिन में घुसते हुए कहा ।  "यार रघु, बस ये फाइल...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-103

जय श्री राधे कृष्ण ……. "चला इंदजित अतुलित जोधा, बंधु निधन सुनि उपजा क्रोधा, कपि देखा दारुन भट आवा, कटकटाइ गर्जा अरु धावा!! भावार्थ:- इन्द्र को जीतने वाला अतुलनीय योद्धा मेघनाद चला । भाई का मारा जाना सुन उसे क्रोध...

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अपने हिस्से का भाग्य

अपने हिस्से का भाग्य . एक आदमी एक सेठ की दुकान पर नौकरी करता था। वह बेहद ईमानदारी और लगन से अपना काम करता था। उसके काम से सेठ बहुत प्रसन्न था और सेठ द्वारा मिलने वाली तनख्वाह से उस...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-102

जय श्री राधे कृष्ण ……. "सुनि सुत बध लंकेश रिसाना, पठएसि मेघनाद बलवाना, मारसि जनि सुत बांधेसु ताही, देखिअ कपिहि कहाँ कर आही भावार्थ:- पुत्र का वध सुन कर रावण क्रोधित हो उठा और उसने (अपने जेष्ठ पुत्र) बलवान मेघनाद...

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