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Year Archives: 2024

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जीवन का उद्देश्य दुसरो की मदद करना है

जीवन का उद्देश्य दूसरों की मदद करना है जीवन का संपूर्ण उद्देश्य प्रसन्नता प्राप्त करना है। हम सभी इसके लिए प्रयास करते हैं; इसके लिए काम करें और अंदर से महसूस करें कि यही अंतिम लक्ष्य है! अलग-अलग लोगों के...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-111

जय श्री राधे कृष्ण ……. "कपिहि बिलोकि दसानन बिहसा कहि दुर्बाद, सुत बध सुरति कीन्हि पुनि उपजा हृदयँ बिषाद…..।। भावार्थ:- हनुमान जी को देख कर रावण दुर्वचन कहता हुआ खूब हंसा । फिर पुत्र वध का स्मरण किया तो उस...

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हैसियत

हैसियत…. विनोद कुमार जैसे ही दुकान में घुसे दुकान के मालिक बृजमोहन ने उन्हें आदर से बिठाया और उनके मना करने के बावजूद लड़के को चाय लेने के लिए भेज दिया..उसके बाद बृजमोहन ने पूछा, “कहिए विनोद बाबू क्या सेवा...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-110

जय श्री राधे कृष्ण ……. "कर जोरे सुर दिसिप बिनीता, भृकुटि बिलोकत सकल सभीता, देखि प्रताप न कपि मन संका, जिमि अहिगन महुँ गरुड़ असंका ।। भावार्थ:- देवता और दिक्पाल हाथ जोड़े बड़ी नम्रता के साथ भयभीत हुए सब रावण...

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आत्मा से तृप्त -तो फिर आप क्या खाओगे

आत्मा से तृप्त लोग बस स्टैंड पर बैठा मैं गृह नगर जाने वाली बस का इंतजार कर रहा था। अभी बस स्टेण्ड पर बस लगी नहीं थी। मैं बैठा हुआ एक किताब पढ़ रहा था। मेरे को देखकर कोई 10...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-109

जय श्री राधे कृष्ण ……. "कपि बंधन सुनि निसिचर धाए, कौतुक लागि सभा सब आए, दसमुख सभा दीखि कपि जाई, कहि न जाइ कछु अति प्रभुताई ।। भावार्थ:- बंदर को बांधा जाना सुन कर राक्षस दौड़े और कौतुक के लिए...

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इंसानियत

इंसानियत (यह कहानी किसी सदस्य की स्वलिखित है , आभार🙏) दफ़्तर से अपना काम ख़तम करने के बाद जब अपने घर के लिए गुप्ता जी निकलने लगे तो उस समय उनकी घड़ी में तक़रीबन रात के 9 बज रहे थे...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-108

जय श्री राधे कृष्ण ……. "जासु नाम जपि सुनहु भवानी, भव बंधन काटहिं नर ग्यानी, तासु दूत कि बंध तरु आवा, प्रभु कारज लगि कपिहिं बंधावा ।। भावार्थ:- (शिवजी कहते हैं) हे भवानी! सुनो, जिन का नाम जप कर ज्ञानी...

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अनोखा प्रेम संबंध

अनोखा प्रेम संबंध एक बार एक चिड़िया का बच्चा आकाश में उड़ता हुआ अचानक किसी घर के आंगन में पड़ा दाना देख कर उसे चुगने के लिए वहां पर जा पहुंचा। जब वह दाना चुग कर वापिस आकाश में उड़ने...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-107

जय श्री राधे कृष्ण ……. "ब्रम्हबान कपि कहुँ तेहिं मारा, परितिहुं बार कटक संघारा, तेहिं देखा कपि मुरुछित भयऊ, नागपास बांधेसि लै गयऊ ।। भावार्थ:- उसने हनुमान जी को ब्रह्म बाण मारा, जिसके लगते ही वे वृक्ष से नीचे गिर...

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