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जब जागो तभी सवेरा

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जब जागो तभी सवेरा

बड़े आक्रोश में घर में घुसते ही कावेरी को आँगन में काम करती हुई केया भाभी दिखाई पड़ीं पड़ी तो पूछा, “भाभी मम्मी किधर हैं?”……”अरे! दीदी प्रणाम। अचानक आगमन आपका! क्या बात है दीदी? न हाय न हेलो, बस मम्मी जी की खोज खबर! आइये बैठिए तो सही।” कहते हुए हाथ का काम छोड़ केया ने कावेरी के पैर छुए और बैठक की तरफ संकेत किया।कावेरी को अपनी गलती का आभास हुआ तो वह केया के पीछे पीछे बैठक की तरफ बढ़ते हुए बोली, “अरे कुछ नहीं भाभी, बस अभी धूप में चलकर आयी हूँ न इसलिए भड़भड़ा गयी थी तनिक।”

“दीदी, आप बैठिये। मैं अभी आयी।” कह कर केया रसोई में चली गयी। बैठक में बैठे बैठे कावेरी सोचने लगी कि कितना बदल गया है सबकुछ। विवाह क्या हुई जैसे मायका पराया ही हो जाता है। और तो और माँ बाप भी बदल जाते हैं।

देखो न जब एक बहुराष्ट्रीय कंपनी से उसका नियुक्ति पत्र आया था तो उसकी सास ने नौकरी करवाने से मना कर दिया था। ससुर और पति रमन से इस विषय पर कुछ भी आशा नहीं थी क्योंकि ‘यह महिलाओं का मामला है और महिला ही इसे अच्छे से समझ सकती है’ कह कर पल्ला झाड़ लिया था।

कावेरी भागकर मायके आयी थी और मम्मी को सारी बात बताकर इनसे राय माँगी तो इन्होंने तपाक से मना करते हुए।  घर की जिम्मेदारियों और सभी का ध्यान रखने की बात कहकर एक लंबा चौड़ा भाषण दे दिया था। लाचार हो कर कावेरी वापस ससुराल चली आयी और धीरे धीरे नौकरी की बात भूल गयी।

भाई श्रवण का विवाह केया से हुए अभी साल भी नहीं बीता है कि कल ही मम्मी ने फोन पर बताया था कि केया की जॉब लग गयी है और वह अगले हफ्ते से ज्वाइन कर रही है। सुनकर वह तिलमिला गयी थी मम्मी के इस दोहरेपन से। उसने फोन पर तो कुछ नहीं कहा लेकिन अगले दिन आमने बैठकर उनसे बात करने को सोचा था लेकिन आज वह घर पर ही नहीं मिलीं।

कावेरी के विचारों को विराम दिया केया की आवाज़ ने, “लीजिये दीदी, मूँग के गर्मागर्म मुंगौड़े और उबलती हुई कॉफी… गर्मी ही गर्मी को मार सकती है न!” केया ने आगे कहा, “तबतक मैं मम्मी जी को फोन लगाती हूँ। वे पड़ोस में कौशल्या चाची की बहू से मिलने गयी हैं।”

“क्या हुआ कौशल्या चाची की बहू को?” कावेरी मुंगौड़े का एक टुकड़ा मुँह में रखकर कॉफी का मग उठाते हुए कहा।

“कुछ विशेष नहीं दीदी, वह वर्किंग वुमन है न और मुझे अगले सोमवार से जॉइन करना है तो उससे व  कौशल्या चाची से स्वयं और मेरे लिए कुछ टिप्स लेने गयी हैं।” मुस्कुराते हुए केया ने बात समाप्त की और प्लेट से मुंगौड़े उठाकर फोन करते हुए बाहर निकल गयी।

इधर केया की बात सुनकर कावेरी के कानों में जैसे आग का गोला रख दिया गया हो। उसके मुँह से मुंगौड़ों और कॉफी की गरमाहट बिल्कुल समाप्त हो गयी। वाह रे मम्मी! मेरे समय दुनियादारी याद आ रही थी और बहू के समय दूसरों से टिप्स लिए जा रहे हैं! हद हो गई यार!

तभी मम्मी ने अंदर आते हुए कहा,”अरे कावेरी! कल ही तो हमारी बात हुई थी और आज अचानक यहाँ! क्या बात है बेटी?”…

“अगर आती नहीं तो आपके दोमुंहेपन की झलक न देख पाती। वाह मम्मी वाह!” कावेरी ने बड़े तीखे शब्दों में मुँह बनाकर मम्मी को उत्तर दिया तो मम्मी ने कहा,”ये क्या बात कर रही है तू कावेरी! जो कुछ भी बोलना हो स्पष्ट बोल दे, बातों के पकौड़े न बना मेरे सामने।”

“मम्मी अभी आप कहाँ से आ रही हैं?…..तभी कॉफी के दो मग लेकर केया अंदर आयी और एक मम्मी जी को देकर दूसरे से स्वयं पीते हुए सामने के सोफे पर बैठ गयी।  “मैं अभी कौशल्या से और उसकी बहु से कामकाजी महिलाओं और उनकी सास के लिए टिप्स लेने गई थी और ले भी आयी।” कॉफी का घूँट भरते हुए मम्मी ने कहा।  “और मम्मी मेरी नौकरी के समय आपने तो पूरा अनुसुइया चरित्र ही सुना दिया था मुझे। तब क्या हो गया था आपको?”

“ओह! यह मामला है।” कह कर मम्मी मुस्कुरा पड़ीं। इत्मीनान से मुंगौड़े खाते हुए वे बोलीं, “कावेरी, ध्यान से सुनो। केया मेरी बहु है। केया की खुशियों पर मैं ध्यान नहीं दूँगी तो यह मेरी खुशियों पर क्यों ध्यान देगी। दूसरी बात केया के बाहर जाने में इसके पति की कोई मनाही नहीं है।

रही बात तेरी तो तू इस घर की बेटी है। तू जिस घर की बहू है उसके परिवार के बुजुर्गों व पति की सलाह को मानना तेरा कर्तव्य बनता है। मेरी सलाह तेरे दाम्पत्य जीवन को यदि कलह से भरने वाली है तो मैं भला ऐसा क्यों करूँगी। जब तेरे पति व सास की इच्छा नहीं थी तो मैं तुझे नौकरी करने को क्यों उकसाती? क्यों तेरे घर में झगड़ा लगवाती?

एक बात और सुन ले! तेरे जाने के बाद मैंने तेरी सास से इस विषय में बात की थी। तब उन्होंने कहा था कि नौकरी के बजाय यदि कावेरी अपने प्रशिक्षण, योग्यता और कुशलता को प्रयोग में लाने के लिए एक ब्यूटीपार्लर खोलने की इच्छा व्यक्त करेगी तो वे न केवल सहयोग करेंगी बल्कि तेरी पहली ग्राहक भी बनेगीं।  पर नौकरी करने की धुन में तूने तो यह करने के विषय में सोचा ही नहीं। मायका बेटी को खुश होते देखना चाहता है और ससुराल बहु को। अभी भी बहुत दिन नहीं गुजरे हैं। जाकर सास से मिल और अपना ब्यूटीपार्लर खोलकर एक दो लड़कियों को जॉब भी दे।”

कॉफ़ी खत्म करके कावेरी उठी और मम्मी के गले लगते हुए कहा,”मम्मी, आपने मेरी आँखें खोल दीं। मैं सभी अपनी सास से मिलकर कुछ नया करती हूँ।” “जाओ बेटी, जब जागो तभी सवेरा होता है।” मम्मी ने कहा।

केया को बाय बोलकर कावेरी सरपट चाल में घर से बाहर निकल गयी।

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जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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