lalittripathi@rediffmail.com
Stories

हाँ मेरी मेघा बेटी

#हाँ मेरी मेघा बेटी #मां #समधन #ईश्वर #छवि #हँसना #एकदम बिंदास #आरती की थाल #चाय #भारत के नक्शे #खुशियों #हार्ट अटैक #आश्चर्य #जय श्रीराम

268Views

हाँ मेरी मेघा बेटी

शादी के लिए देखने गई मां ने समधन से कहा, शुभम मेरा एकलौता बेटा है, जैसा नाम वैसा गुण । जब जब मैं दूसरा बच्चा न होने के लिए उदास होती तो रमेश कहते, ईश्वर ने दस बेटों के गुण दिए है हमारे शुभम में । लेकिन मेरा मन एक बेटी की चाहत में हमेशा कलपता रहा । सोचती थी बहू को ही बेटी का प्यार दूँगी। अपनी बहू की जो छवि मैंने सोची थी मेघा उसकी बिल्कुल विपरीत थी। उसकी माँ ने ही हँसते हुए कहा, अपने नाम के विपरीत है मेघा ! लड़कों की तरह वेश भूषा, हँसना,* बोलना,अक्खड़पना भरा हुआ था उसमें, जाने शुभम को क्या दिखा इसमें । जीन्स और टी शर्ट में आकर उसने हैलो आंटी कहा। मैंने भी प्रत्युत्तर में हैलो ही कहा। तभी उसकी माँ बोली, आंटी के पैर छुओ बेटा। उसको असहज देख कर मैंने कह दिया, रहने दो बेटा, उसकी कोई जरूरत नहीं है।  बातों से एकदम बिंदास, खिलखिलाकर हँसने वाली, अपनी माँ से हर बात पर तर्क वितर्क करती “मेघा” मेरे बेटे “सुयश” की पसंद ही नहीं प्यार भी थी ।

शादी की रस्मों के बाद मेघा हमारे घर आ गयी, और शुभम मेघा अपना हनीमून मना कर वापस भी आ गए । अगले दिन से दोनों को आफिस जाना था। सुबह की नींद मुझे बहुत प्यारी थी, सोचती थी बहू आ जायेगी तो उसके हाथों की चाय पीकर अपने सुबह की शुरुआत करूँगी। लेकिन मेघा को देख कर मैंने अपना ये सपना भुला दिया और सुबह 6 बजे का अलार्म लगा कर सो गई । पूजा की घंटियाँ सुन मेरी नींद खुली, अभी छः भी नहीं बजे थे। बाहर निकल कर देखा, मेघा आरती की थाल लिए, पूरे घर में घूम रही थी। मुझे लगा मैं सपना देख रही हूँ, तब तक वो पास आकर बोली मम्मा प्रसाद लीजिये ।

फ्रेश होकर बाथरूम से निकली तो मैडम चाय के दो कप लिए हाजिर थीं। चाय पीने के बाद बोली मम्मा मुझे नाश्ते में बस सैंडविच और चीला बनाना ही आता है। आप लोग नाश्ते में क्या खाते हैं?…. पीछे से शुभम आकर बोला, जो भी तुम बनाओ हम वही खायेंगे।  शुभम ने मेरा हैरान चेहरा देख कर पूछा,” क्या हुआ माँ, चाय पसन्द नहीं आयी !  नहीं रे इतनी अच्छी चाय तो खुद मैंने ही नहीं बनाई कभी !”

फिर मैंने मेघा से कहा,”तुम्हें ऑफिस जाना है बेटा, तैयार हो जाओ। अभी मेड आ रही होगी मैं उसके साथ मिलकर नाश्ता बना लूँगी।” अरे नहीं मम्मा नाश्ता तो मैं ही बनाऊँगी, फिर तो मैं पूरा दिन आफिस में रहूँगी तो घर पर सब आपको ही देखना पड़ेगा।

मेघा कभी कोई मौका नहीं देती थी कमी निकालने का, साडी बहुत कम पहनती है, वो हर रोज हमारे पैर भी नहीं छूती, उसकी आवाज भी धीमी नहीं है, उसे घर के काम भी नहीं आते, रोटी तो भारत के नक्शे जैसी बनाती है,और जब गुस्साती है…..तो… उफ्फ पूछिये ही मत ! वो एक आदर्श बहू की छवि से बिल्कुल जुदा है लेकिन ये कमी दुर हो सकती है।

खुशियों को भी कभी-कभी नजर लग जाती है ! सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था कि रमेश  को हार्ट अटैक आ गया, मैं उन्हें आई सी यू के बाहर से देख घंटों रोती रहती, उस समय मेरी मेघा ने मुझे सास से बेटी बना दिया। मुझे अपनी बाहों में भरकर चुप कराती, जबरदस्ती अपने हाथों से खाना खिलाती। हर वक़्त यही कहती पापा बिल्कुल ठीक हो जायेंगे। हॉस्पिटल के बिल, दवाइयों का खर्चा इस तरह से देती जैसे उसके अपने पापा का इलाज हो रहा हो ।

शुभम और मेरे सामने मजबूत चट्टान बनी मेरी मेघा वास्तव में बहुत कोमल थी। घर आने के बाद भी रमेश  का ख्याल हम दोनों से ज्यादा रखती । अपनी नई नवेली शादी के बावजूद देर रात तक हमारे साथ बैठी रहती । मासूम गुड़िया सी बहू का सपना देखने वाली सास को एक मजबूत बेटी मिल गयी थी। जिसका चोला पाश्चात्य था पर दिल एकदम देशी था ।

आज मेरे जन्मदिन पर शुभम ने कहा,”माँ, तैयार हो जाइए,आपकी पसन्द की साड़ी खरीदने चलते हैं। “मुझे कुछ नहीं चाहिए शुभम ! ……तूने मेघा के रूप में मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा तोहफा दे दिया ! मेरी भीगी आँखे पोछ कर शुभम ने पूछा, वैसे है कहाँ आपकी दबंग बहू? जिसने अपनी दबंगई से आपका भी दिल जीत लिया ! तब तक मेघा ने मेरे गले में अपनी बाहें डाल कर कहा, हैप्पी बर्थडे मम्मा और एक पैकेट पकड़ाते हुए कहा, ये दुनिया की बेस्ट मम्मा के लिए, पैकेट खोल कर देखा, तो उसमें कांजीवरम साड़ी थी, बिल्कुल वैसी ही जैसी मैं हमेशा से लेना चाहती थी !

मेरे आश्चर्य चकित चेहरे को देखकर बोली, वो जब आप रेखा की तस्वीर गूगल पर सर्च करके घंटों देखती थीं तभी मुझे समझ आ गया कि आप उनकी तस्वीरों में देखती क्या हैं !

अपनी जोरदार हँसी के साथ उसने फिर से मुझे गले लगा लिया। खुशी में बहते आँसुओं को पोछकर उसने कहा, “एक माँ के दिल की बात एक बेटी तो समझ ही जाती है ना मम्मा”! हाँ मेरी मेघा बेटी

कहानी अच्छी लगे तो Like और Comment जरुर करें। यदि पोस्ट पसन्द आये तो Follow & Share अवश्य करें !

जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

2 Comments

Leave a Reply to SUBHASH CHAND GARG Cancel reply