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Month Archives: April 2024

Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-138

जय श्री राधे कृष्ण ……. "देह बिसाल परम हरुआई, मंदिर तें मंन्दिर चढ़ धाई, जरइ नगर भा लोग बिहाला, झपट लपट बहु कोटि कराला ।। भावार्थ:- देह बड़ी विशाल, परन्तु बहुत ही हल्की (फुर्तीली) है । वे दौड़ कर एक...

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पारिवारिक संस्कार व अनुशासन

पारिवारिक संस्कार व अनुशासन           उन महिलाओं के विषय में तो बहुत कुछ लिखा गया है, जो ससुराल में पीड़ित हुई हैं, लेकिन उन ससुराल वालों का क्या ? जो बहुओं से काफी दुःखी एवं पीड़ित हो रहे हैं...?....मेरे बहुत...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-137

जय श्री राधे कृष्ण ……. "निबुकि चढ़ेउ कपि कनक अटारींं, भईं सभीत निसाचर नारीं ।। भावार्थ:- बन्धन से निकल कर वे सोने की अटारियों पर जा चढ़े । उनको देखकर राक्षसों की स्त्रियाँ भयभीत हो गयीं ।। हरि प्रेरित तेहि...

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अर्जित संपत्ति- मान सम्मान

अर्जित संपत्ति- मान सम्मान     “माँ आपको तो चाची जी को इतनी देर तक बिठाना ही नहीं चाहिए था उपर से आपने उनकी हर बात की हामी भर दी… अपना समय भूल गई क्या जब उन्होंने कैसे हम सब पर...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-136

जय श्री राधे कृष्ण ……. "बाजहिं ढोल देहिं सब तारी, नगर फेरि पुनि पूँछ प्रजारी, पावक जरत देखि हनुमंता, भयहु परम लघु रूप तुरंता ।। भावार्थ:- ढोल बजते हैं, सब लोग तालियाँ पीटते हैं । हनुमान जी को नगर में...

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क्रोध

क्रोध रमा जैसे ही रसोई से बाहर आई वैसे ही रमेश चिल्ला उठा कि आज यह सब्जी क्यों बना दी वैस हीे मूड खराब है और फिर यह बेकार सब्जी। रमा ने पूछा कि आज तो मैने आपकी मनपसंद गोभी...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-135

जय श्री राधे कृष्ण ……. "रहा न नगर बसन घृत तेला, बाढ़ी पूँछ कीन्ह कपि खेला, कौतुक कँह आए पुरबासी, मारहिं चरन करहिं बहु हाँसी ।। भावार्थ:- (पूँछ के लपेटने में इतना कपड़ा और घी - तेल लगा कि) नगर...

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लव-कुश-द्वारा-हनुमानजी को बंदी बनाना

लव-कुश-द्वारा-हनुमानजी को बंदी बनाना श्रीरामश्वमेध का अश्व भ्रमण करता हुआ महर्षि वाल्मीकि के पुनीत आश्रम के समीप पहुंचा| प्रातःकाल का समय था| सीतापुत्र लव मुनि कुमारों के साथ समिधा लेने वन में गए थे| वहां उन्होंने यज्ञाश्व के भाल पर...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-134

जय श्री राधे कृष्ण ……. "बचन सुनत कपि मन मुसुकाना,भाई सहाय सारद मैं जाना, जातुधान सुनि रावन बचना, लागे रचैं मूढ़ सोइ रचना ।। भावार्थ:- यह वचन सुनते ही हनुमान जी मन में मुस्कराये (और मन-ही-मन बोले कि) मैं जान...

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यमराज और डाकू

यमराज और डाकू एक साधु व डाकू यमलोक पहुंचे। डाकू ने यमराज से दंड मांगा और साधु ने स्वर्ग की सुख-सुविधाएं। यमराज ने डाकू को साधु की सेवा करने का दंड दिया। साधु तैयार नहीं हुआ। यम ने साधु से...

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