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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-15

जय श्री राधे कृष्ण ……. ताहि मारि मारुतसुत बीरा, बारिधि पार गयउ मतिधीरा, तहाँ जाइ देखी बन सोभा, गुंजत चंचरीक मधु लोभा…..!! भावार्थ:- पवन पुत्र धीर बुद्धि वीर श्री हनुमान जी उसको मार कर समुद्र के पार गए। वहां जाकर...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-14

जय श्री राधे कृष्ण ……. गहइ छाह सक सो न उड़ाई, एहि बिधि सदा गगनचर खाई,/सोइ छल हनूमान कह कीन्हा, तासु कपटु कपि तुरतहिं चीन्हा……!! भावार्थ:- उस परछाई को पकड़ लेती थी, जिससे वे उड़ नहीं सकते थे (और जल...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-13

जय श्री राधे कृष्ण ……. निसिचर एक सिंधु महुँ रहई, करि माया नभु के खग गहई, जीव जन्तु जे गगन उड़ाहीं, जल बिलोकि तिन्ह कै परिछाहीं…..!! भावार्थ:- समुद्र में एक राक्षसी रहती थी। वह माया करके आकाश में उड़ते हुए...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-12

जय श्री राधे कृष्ण ……. राम काजु सबु करिहहु तुम्ह बल बुद्धि निधान, आसिष देइ गई सो हरषि चलेउ हनुमान…..!! भावार्थ:- तुम श्री रामचंद्र जी का सब कार्य करोगे क्योंकि तुम बल -बुद्धि के भंडार हो। यह आशीर्वाद देकर वह...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-11

जय श्री राधे कृष्ण ……. बदन पइठि पुनि बाहेर आवा, मागा बिदा ताहि सिरु नावा, मोहि सुरन्ह जेहि लागि पठावा, बुधि बल मरमु तोर मैं पावा…!! भावार्थ:- और वे उसके मुख में घुसकर (तुरंत) फिर बाहर निकल आए और उसे...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-10

जय श्री राधे कृष्ण ……. जस जस सुरसा बदनु बढ़ावा, तासु दून कपि रूप देखावा, सत जोजन तेहिं आनन कीन्हा, अति लघु रूप पवनसुत लीन्हा…..!! भावार्थ:- जैसे-जैसे सुरसा मुख का विस्तार बढ़ाती थी, हनुमान जी उसका दूना रूप दिखलाते थे...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-9

जय श्री राधे कृष्ण ……. जोजन भरि तेहिं बदनु पसारा,/कपि तनु कीन्ह दुगुन बिस्तारा, सोरह जोजन मुख तेहिं ठयऊ, तुरत पवनसुत बत्तिस भयऊ….!! भावार्थ:- उसने योजन भर (चार कोस में) मुंह फैलाया । तब हनुमान जी ने अपने शरीर को...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-8

जय श्री राधे कृष्ण ……. तब तव बदन पैठिहउं आई, सत्य कहउँ मोहि जान दे माई, कवनेहुं जतन देइ नहिं जाना, ग्रससि न मोहि कहेउ हनुमाना…!! भावार्थ:- तब मैं आकर तुम्हारे मुंह में घुस जाऊंगा (तुम मुझे खा लेना) हे...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-7

जय श्री राधे कृष्ण ……. आजु सुरन्ह मोहि दीन अहारा, सुनत बचन कह पवनकुमारा, राम काजु करि फिरि मैं आवौं, सीता कइ सुधि प्रभुहि सुनावौं….. !! भावार्थ:- आज देवताओं ने मुझे भोजन दिया है। यह वचन सुनकर पवन कुमार हनुमान...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-6

जय श्री राधे कृष्ण ……. जात पवनसुत देवन्ह देखा, जानैं कहुँ बल बुद्धि बिसेषा, सुरसा नाम अहिन्ह कै माता, पठइन्हि आइ कही तेहिं बाता…..!! भावार्थ:- देवताओं ने पवन पुत्र हनुमान जी को जाते हुए देखा। उनकी विशेष बल - बुद्धि...

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