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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-40

जय श्री राधे कृष्ण ……. जौं रघुबीर अनुग्रह कीन्हा, तौ तुम्ह मोहि दरसु हठि दीन्हा, सुनहु बिभीषन प्रभु कै रीती, करहिं सदा सेवक पर प्रीती….!! भावार्थ:- जब श्री रघुवीर ने कृपा की है, तभी तो आपने मुझे हठ करके (अपनी...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-39

जय श्री राधे कृष्ण ……. तामस तनु कछु साधन नाहीं, प्रीति न पद सरोज मन माहीं, अब मोहि भा भरोस हनुमंता बिनु हरि कृपा मिलहि नहि संता…..!! भावार्थ:- मेरा तामसी (राक्षस) शरीर होने से साधन तो कुछ बनता नहीं, और...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-38

जय श्री राधे कृष्ण ……. सुनहु पवनसुत रहनि हमारी, जिमि दसनन्हि महुँ जीभ बिचारी, तात कबहु मोहि जानि अनाथा, करिहहिं कृपा भानुकुल नाथा…..!! भावार्थ:- विभीषण जी ने कहा, हे पवनपुत्र, मेरी रहनी सुनो । मैं यहां वैसे ही रहता हूँ,...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-37

जय श्री राधे कृष्ण ……. तब हनुमंत कही सब राम कथा निज नाम, सुनत जुगल तन पुलक मन मगन सुमिरि गुन ग्राम….!! भावार्थ:- तब हनुमान जी ने श्री रामचंद्र जी की सारी कथा कह कर अपना नाम बताया । सुनते...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-36

जय श्री राधे कृष्ण ……. की तुम्ह हरि दासन्ह मह कोई, मोरें हृदय प्रीति अति होई, की तुम्ह रामु दीन अनुरागी, आयहु मोहि करन बड़भागी…..!! भावार्थ:- क्या आप हरि भक्तों में से कोई हैं ? क्योंकि आप को देख कर...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-35

जय श्री राधे कृष्ण ……. बिप्र रुप धरि बचन सुनाए, सुनत बिभीषन उठि तहं आए, करि प्रनाम पूंछी कुसलाई, बिप्र कहहु निज कथा बुझाई….!! भावार्थ:- ब्राह्मण का रूप धर कर हनुमान जी ने उन्हें वचन सुनाए (पुकारा) । सुनते ही...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-34

जय श्री राधे कृष्ण ……. राम-राम तेहिं सुमिरन कीन्हा, हृदयं हरष कपि सज्जन चीन्हा, एहि सन हठि करिहउ पहिचानी, साधु ते होइ न कारज हानी ……!! भावार्थ:- उन्होंने (विभीषण ने) राम नाम का स्मरण (उच्चारण) किया । हनुमान जी ने...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-33

जय श्री राधे कृष्ण ……. लंका निसिचर निकर निवासा, इहां कहां सज्जन कर बासा, मन महुँ तरक करै कपि लागा, तेहीं समय बिभीषनु जागा……!!! भावार्थ:- लंका तो राक्षसों के समूह का निवास स्थान है । यहां सज्जन (साधु पुरुष) का...

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सुविचार

जय श्री राधे कृष्ण "व्यंग और बहस से रिश्ते कमजोर हो जाते है….इसीलिए कभी भी ऐसी लड़ाई न लड़े जिसमें बहस तो जीत जाये लेकिन अपनें हार जायें……..!! सुप्रभात आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो.....

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-32

जय श्री राधे कृष्ण ……. रामायुध अंकित गृह सोभा बरनि न जाइ, नव तुलसिका बृंद तहं देखि हरष कपिराइ……!! भावार्थ:- वह महल श्री राम जी के आयुध (धनुष बाण) के चिन्हों से अंकित था। उसकी शोभा वर्णन नहीं की जा...

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