सुविचार-सुन्दरकाण्ड-56
जय श्री राधे कृष्ण ……. "सुनत बचन पुनिमारन धावा, मयतनयां कहि नीति बुझावा, कहेसि सकल निसिचरिन्ह बोलाई, सीतहि बहु बिधि त्रासहु जाई ।। भावार्थ:- सीता जी के ये वचन सुनते ही वह मारने दौड़ा । तब मय दानव की पुत्री...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "सुनत बचन पुनिमारन धावा, मयतनयां कहि नीति बुझावा, कहेसि सकल निसिचरिन्ह बोलाई, सीतहि बहु बिधि त्रासहु जाई ।। भावार्थ:- सीता जी के ये वचन सुनते ही वह मारने दौड़ा । तब मय दानव की पुत्री...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "सामान्यतः दुःख का कारण कर्म का अभाव व स्वयं की नकारात्मक सोच होती है…!! सुप्रभात आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो.....
जय श्री राधे कृष्ण ……. "चंन्द्रहास हरु मम परितापं, रघुपति बिरह अनल संजातं, सीतल निसित बहसि बर धारा, कह सीता हरु मम दुख भारा…..!! भावार्थ:- सीता जी कहती हैं, हे चन्द्रहास (तलवार), श्री रघुनाथ जी के विरह की अग्नि से...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "स्याम सरोज दाम सब सुन्दर, प्रभु भुज करि कर सम दसकंधर, सो भुज कंठ कि तव असि घोरा, सुनु सठ अस प्रवान पन मोरा….!! भावार्थ:- (सीता जी ने कहा) हे दशग्रीव! प्रभु की भुजा जो...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "सीता तैं मम कृत अपमाना, कटिहउँ तव सिर कठिन कृपाना, नाहिं त सपदि मानु मम बानी, सुमुखि होति न त जीवन हानी…..!! भावार्थ:- सीता! तूने मेरा अपमान किया है। मैं तेरा सिर इस कठोर कृपाण...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "सठ सूने हरि आनेहि मोही, अधम निलज्ज लाज नहिं तोही….!! भावार्थ:- रे पापी ! तू मुझे सूने में हर लाया है । रे अधम ! निर्लज्ज ! तुझे लज्जा नहीं आती ?…..।। आपुहि सुनि खद्योत...
जय श्री राधे कृष्ण ……. " कर्म करने पर तो हार या जीत कुछ भी मिल सकती है किन्तु कर्म ना करने पर केवल हार ही मिलती है पुरुषार्थी के पुरुषार्थ के आगे तो भाग्य भी विवश हो कर फल...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "सुन दसमुख खद्योत प्रकासा, कबहु कि नलिनी करइ बिकासा, अस मन समुझु कहति जानकी, खल सुधि नहिं रघुबीर बान की….!! भावार्थ:- हे दसमुख! सुन, जुगुनू के प्रकाश से कभी कमलिनी खिल सकती है ? जानकी...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "तव अनुचरीं करउँ पन मोरा, एक बार बिलोकु मम ओरा, तृन धरि ओट कहति बैदेही, सुमिरि अवधपति परम सनेही……!! भावार्थ:- मैं तुम्हारी दासी बना दूंगा । यह मेरा प्रण है। तुम एक बार मेरी ओर...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "बहु बिधि खल सीतहि समझावा, साम दान भय भेद देखावा, कह रावनु सुन सुमुखि सयानी, मंदोदरी आदि सब रानी….!! भावार्थ:- उस दुष्ट ने सीता जी को बहुत प्रकार से समझाया । साम, दान, भय और...