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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-153

जय श्री राधे कृष्ण ……. "जौं न होत सीता सुधि पाई, मधुबन के फल सकहिं कि खाई, एहि बिधि मन विचार कर राजा, आइ गए कपि सहित समाजा ।। भावार्थ:- यदि सीता जी की खबर न पायी होती तो क्या...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-152

जय श्री राधे कृष्ण ……. "जाइ पुकारे ते सब बन उजार जुबराज, सुनि सुग्रीव हरष कपि करि आए प्रभु काज !! भावार्थ:- उन सब ने जा कर पुकारा कि युवराज अंगद वन उजाड़ रहे हैं । यह सुन कर सुग्रीव...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-151

जय श्री राधे कृष्ण ……. "तब मधुबन भीतर सब आए, अंगद संमत मधु फल खाए, रखवारे जब बरजन लागे, मुष्टि प्रहार हनत सब भागे ।। भावार्थ:- तब सब लोग मधुवन के भीतर आए और अंगद की सम्मति से सबने मधुर...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-150

जय श्री राधे कृष्ण ……. "मिले सकल अति भए सुखारी, तलफत मीन पाव जिमि बारी, चले हरषि रघुनायक पासा, पूँछत कहत नवल इतिहासा ।। भावार्थ:- सब हनुमान जी से मिले और बहुत ही सुखी हुए, जैसे तड़पती हुई मछली को...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-149

जय श्री राधे कृष्ण ……. "हरसे सब बिलोकि हनुमाना, नूतन जन्म कपिन्ह तब जाना, मुख प्रसन्न तन तेज बिराजा, कीन्हेसि रामचंद्र कर काजा ।। भावार्थ:- हनुमान जी को देख कर सब हर्षित हो गए और तब वानरों ने अपना नया...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-148

जय श्री राधे कृष्ण ……. "चलत महाधुनि गर्जेसि भारी, गर्भ स्रवहिं सुनि निसिचर नारी, नाघि सिंन्धु एहि पारहि आवा, सबद किलकिला कपिन्ह सुनावा ।। भावार्थ:- चलते समय उन्होंने महाध्वनि से भारी गर्जना किया, जिसे सुन कर राक्षसों की स्त्रियों के...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-147

जय श्री राधे कृष्ण ……. "जनक सुतहि समुझाइ करि बहु बिधि धीरजु दीन्ह, चरन कमल सिरु नाइ कपि गवनु राम पहिं कीन्ह ।। भावार्थ:- हनुमान जी ने जानकी जी को समझा कर बहुत प्रकार से धीरज दिया और उनके चरण...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-146

जय श्री राधे कृष्ण ……. "कहु कपि केहि बिधि राखौं प्राना, तुम्हहू तात कहत अब जाना, तोहि देखि सीतलि भइ छाती, पुनि मो कहुँ सोइ दिनु सो राती ।। भावार्थ:- हे हनुमान ! कहो, मैं किस प्रकार प्राण रखूँ ।...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-145

जय श्री राधे कृष्ण ……. "तात सक्रसुत कथा सुनाएहु, बान प्रताप प्रभुहि समुझाएहु, मास दिवस महुँ नाथु न आवा, तौ पुनि मोहि जिअत नहिं पावा ।। भावार्थ:- हे तात! इन्द्र पुत्र जयंत की कथा (घटना) सुनाना और प्रभु को उनके...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-144

जय श्री राधे कृष्ण ……. "कहेहु तात अस मोर प्रनामा, सब प्रकार प्रभु पूरनकामा, दीन दयाल बिरिदु संभारी, हरहु नाथ मम संकट भारी ।। भावार्थ:- (जानकी जी ने कहा), हे तात! मेरा प्रणाम निवेदन करना और इस प्रकार कहना -...

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