जय श्री राधे कृष्ण …….
“कपि बंधन सुनि निसिचर धाए, कौतुक लागि सभा सब आए, दसमुख सभा दीखि कपि जाई, कहि न जाइ कछु अति प्रभुताई ।।
भावार्थ:– बंदर को बांधा जाना सुन कर राक्षस दौड़े और कौतुक के लिए (तमाशा देखने के लिए) सब सभा में आये । हनुमान जी ने जा कर रावण की सभा देखी । उसकी अत्य॔त प्रभुता (ऐश्वर्य) कुछ कही नहीं जाती…….!!
महाशिवरात्रि की शुभकामनायें
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
