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कृष्ण सदा सहायते

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कृष्ण सदा सहायते

वृंदावन में एक बार एक ग्वाला कृष्ण के प्रति बहुत प्रेम रखता था। उसका नाम माधव था। माधव बहुत साधारण व्यक्ति था, पर उसका हृदय श्रीकृष्ण के लिए अपार भक्ति से भरा हुआ था।

माधव रोज़ सुबह उठकर सबसे पहले मुरलीधर का स्मरण करता और कहता, “हे गोपाल! आज दिन भर तुम मेरे संग रहना।” वह मंदिर जाने या पूजा-पाठ के नियम नहीं जानता था, पर अपने काम-धंधे के बीच भी बार-बार कृष्ण का नाम लेता रहता।

एक दिन गाँव में बड़ी विपत्ति आ गई। मूसलधार बारिश ने नदी का जलस्तर इतना बढ़ा दिया कि लोग अपने-अपने घरों में कैद हो गए। माधव के मन में एक ही चिंता थी — मंदिर में ठाकुर जी का भोग कौन लगाएगा?

उसने सोचा, “अगर ठाकुर जी को भोजन न मिला तो वे भूखे रह जाएंगे।” उसने टोकरी में कुछ रोटियाँ, दूध और मक्खन रखा और तेज़ पानी के बहाव की परवाह किए बिना मंदिर की ओर चल पड़ा।

रास्ते में पानी इतना बढ़ चुका था कि माधव का संतुलन बिगड़ गया। वह नदी में गिर पड़ा और बहने लगा। वह बस श्रीकृष्ण को पुकार रहा था — “गोविंदा! रक्षामाम्!”

अचानक उसे लगा जैसे किसी ने उसका हाथ कसकर पकड़ लिया हो। उसने आँखें खोलीं तो देखा — एक सुंदर नीले रंग का बालक, सिर पर मोर मुकुट, मुस्कुराते हुए उसे बाहर खींच रहा है। बालक ने कहा, “माधव! इतनी चिंता क्यों कर रहे हो? मैं तुम्हारे भोग का इंतज़ार कर ही रहा था।”

माधव समझ गया — ये कोई साधारण बालक नहीं, स्वयं श्रीकृष्ण हैं! उसकी आँखों से आँसू बहने लगे, और वह चरणों में गिर पड़ा। कृष्ण मुस्कुराए और बोले, “भक्ति में नियम नहीं, प्रेम चाहिए। तूने प्रेम से मेरे लिए कष्ट उठाया, मैं कैसे न आता?”

उस दिन से गाँव में सबने सीखा — भगवान उन्हें ही मिलते हैं जो सच्चे प्रेम से उन्हें पुकारते हैं, चाहे वे साधारण ग्वाले ही क्यों न हों..!!

जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

1 Comment

  • सच्चा प्रेम भगवान के दिल तक पहुंचता है और भगवान उसे अपने दिल तख्त पर बैठा कर रखता है।

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