दुष्टदलन कृष्ण भगवान
कंस की मृत्यु के पश्चात उसका ससुर जरासन्ध बहुत ही क्रोधित था,उसने भगवान “कृष्ण व बलराम को मारने हेतु मथुरा पर 17 बार आक्रमण किया l” प्रत्येक पराजय के बाद वह अपने विचारों का समर्थंन करने वाले तमाम राजाओं से सम्पर्क करता और उनसे महागठबंधन बनाता और मथुरा पर हमला करता था
और श्री कृष्ण पूरी सेना को मार देते,मात्र जरासन्ध को ही छोड़ देते…यह सब देख श्री बलराम जी बहुत क्रोधित हुये और श्री कृष्णजी से कहा… बार-बार जरासन्ध हारने के बाद पृथ्वी के कोनों कोनों से दुष्टों के साथ महागठबंधन कर हम पर आक्रमण कर रहा है और तुम पूरी सेना को मार देते हो किन्तु असली खुराफात करने वाले को ही छोड़ दे रहे हो…??
तब हंसते हुए श्री कृष्ण ने बलराम जी को समझाया…हे भ्राताश्री मैं जरासन्ध को बार बार जानबूझकर इसलिए छोड़ दे रहा हूँ कि ये जरासन्ध पूरी पृथ्वी के दुष्टों को खोज कर उनके साथ महागठबंधन करता है और मेरे पास लाता है और मैं बहुत ही आसानी से एक ही जगह रहकर धरती के सभी दुष्टों को मार दे रहा हूँ नहीं तो मुझे इन दुष्टों को मारने के लिए पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाना पड़ता, और बिल में से खोज-खोज कर निकाल निकाल कर मारना पड़ता और बहुत कष्ट झेलना पड़ता। “दुष्टदलन” का मेरा यह कार्य जरासन्धने बहुत आसान कर दिया है:”..
” जब सभी दुष्टों को मार लूंगा तो सबसे आखिरी में इसे भी खत्म कर ही दूंगा “आप चिन्ता न करे भ्राताश्री…
जय श्रीराम
विनाशय च दुष्कृता धर्म संस्थापनार्थाय संभामामी युगे युगे