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जब मीरा पहुंची वृन्दावन

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जब मीरा पहुंची वृंदावन

उस समय वृंदावन के इस मंदिर में स्त्रियों का प्रवेश निषिद्ध था, क्योंकि उस मंदिर का जो महंत था, वह स्त्रियां नहीं देखता था; वह कहता था: ब्रह्मचारी को स्त्री नहीं देखनी चाहिए। तो वह स्त्रियां नहीं देखता था।

मीरा स्त्री थी। तो रोकने की व्यवस्था की गई थी। लेकिन जो लोग रोकने द्वार पर खड़े थे, वे किंकर्तव्यविमूढ़ हो गए। जब मीरा नाचती हुई आई, अपने हाथ में अपना एकतारा लिए बजाती हुई आई, और जब उसके पीछे भक्तों का हुजूम आया और चारों तरफ सब मदमस्त–उस मस्ती में वे जो द्वारपाल खड़े थे, वे भी ठिठक कर खड़े हो गए। वे भूल ही गए कि रोकना है। तब तक तो मीरा भीतर प्रविष्ट हो गई।

हवा की एक लहर थी मीरा –मंदिर के भीतर प्रविष्ट हो गई, पहुंच गई बीच मंदिर में। पुजारी तो घबरा गया। पुजारी पूजा कर रहा था कृष्ण की। उसके हाथ से थाल गिर गया। उसने वर्षों से स्त्री नहीं देखी थी। इस मंदिर में स्त्री का प्रवेश निषेध था। यह स्त्री यहां भीतर कैसे आ गई?

अब तुम थोड़ा सोचना। द्वार पर खड़े द्वारपाल भी डूब गए भाव में, पुजारी न डूब सका द्वार पर खड़े द्वारपाल डूब गए इस रस में।

यह जो मदमाती, यह जो अलमस्त मीरा आई, यह जो लहर आई–इसमें वे ये भी भूल गए क्षण भर को, भूल ही गए कि हमारा काम क्या है?

याद आई होगी, तब तक तो मीरा भीतर जा चुकी थी। वह तो बिजली की कौंध थी। तब तक तो एकतारा उसका भीतर बज रहा था, भीड़ भीतर चली गई थी। जब तक उन्हें होश आया तब तक तो बात चुक गई थी। लेकिन पंडित नहीं डूबा। कृष्ण के सामने मीरा आकर नाच रही है, लेकिन पंडित नहीं डूबा।

उसने कहा: “ऐ औरत! तुझे समझ है कि इस मंदिर में स्त्री का प्रवेश निषेध है?

मीरा ने सुना और कहा: “मैं तो सोचती थी, कि कृष्ण के अतिरिक्त और कोई पुरुष है नहीं। तो तुम भी पुरुष हो?

मैं तो कृष्ण को ही बस पुरुष मानती हूं, और तो सारा जगत उनकी गोपी है; उनके ही साथ रास चल रहा है। अच्छा.. तो तुम भी पुरुष हो?
मैंने सोचा नहीं था कि दो पुरुष हैं। तो तुम प्रतियोगी हो?

वह तो घबरा गया। पंडित तो समझा ही नहीं कि अब क्या उत्तर दे! लेकिन यह प्रश्न तो कभी इस तरह उठा ही नहीं था। किसी ने पूछा ही नहीं था, यह तो कभी किसी ने मीरा के पहले कहा ही नहीं था कि दूसरा भी कोई पुरुष है, यह तो हमने सुना ही नहीं। तुम भी बड़ी अजीब बात कर रहे हो! तुमको यह वहम कहां से हो गया?
एक कृष्ण ही पुरुष हैं, बाकी तो सब उसकी प्रेयसियां हैं।🙏

जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

1 Comment

  • मेरे तो एक गिरधर गोपाल , दूसरों ना कोई

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