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अपनेपन से भरे मीठे बोल

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अपनेपन से भरे मीठे बोल

नव विवाहित जोड़ा किराए से मकान देखने के लिए शर्मा जी के घर पहुंचा , दोनों पति पत्नी खुश हो गए चलो कुछ रौनक होगी कितना सुंदर जोड़ा है हम इन्हें घर जरूर देंगे !! आंटी अंकल हमें दो रुम किचन का मकान चाहिए ..क्या हम मकान देख सकते हैं ? घुटनों के दर्द से बेहाल सीमा जी उठते हुए बोली ” हां हां बेटा क्यों नहीं देख लो !!

बाजू में ही छोटा पोर्शन किराए के लिए बनवाया था आर्थिक सहायता भी होगी तनिक रौनक भी लगी रहेगी !!

मकान बहुत पसंद आया जोड़े को ” अंकल हम लोग कल इतवार को ही शिफ्ट कर जाएंगे ” राघव जी भी खुश होकर बोले ” हां बेटा बिल्कुल बिल्कुल ” दूसरे दिन से सूने से घर में रौनक आ गई!!

सारा दिन सामान जमाकर जैसे ही नीतू रवि फुरसत होकर बैठे ही थे कि दरवाजे की घंटी बज उठी…. दरवाजा खोला तो देखा राघव जी थे ” बेटा तुम्हारी आंटी ने तुम्हें खाना खाने के लिए बुलाया है “

रवि बोल पड़ा ” अरे क्यों तकलीफ की आंटी ने… हम तो बाहर से ऑर्डर करने ही वाले थे”…….पोपले मुंह से हंसते हुए राघव जी बोले ” आज़ थके हुए हो…. खा लो, कल से अपने हिसाब से इंतज़ाम कर लेना “

सीमा जी और राघव जी से अनजाना सा लगाव हो गया नीतू और रवि को, ये जानकर कि उनके दोनों बेटे परदेश में ही स्थायी तौर पर बस चुके हैं…. दोनों का मन भर आया!!

नीतू! ” सारी रात अंकल के खांसने और कराहने की आवाज़ आती रही तनिक देखकर आता हूं कहीं तबियत ज्यादा खराब तो नहीं हो गई “

” ठीक है जाओ, मैं नाश्ता लेकर आती हूं… साथ ही नाश्ता कर लेंगे “

” क्यों तकलीफ की बेटा! बुढ़ापे में तो ये सब लगा ही रहता है… लगता है इनकी खांसी की आवाज से सो नहीं पाए तुम लोग?”…..

” अरे नहीं आंटी! ऐसा नहीं है मैं अभी डॉक्टर के पास ले जाऊंगा अंकल को, दवा देंगे तो तबियत संभल जाएगी!!”

बेबसी से दोनों की ओर देखती हुई सीमा जी बोलीं…..

बेटा! दवा से ज्यादा अपनेपन से भरे मीठे बोल की जरूरत है हमें, बस इसी की कमी थी , जो तुम दोनों ने पूरी कर दी” पल्लू से आंखे पोंछतीं सीमा जी बोलीं , राघव जी की आंखों भी बरस पड़ीं !!”

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जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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