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Year Archives: 2024

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अर्जित संपत्ति- मान सम्मान

अर्जित संपत्ति- मान सम्मान     “माँ आपको तो चाची जी को इतनी देर तक बिठाना ही नहीं चाहिए था उपर से आपने उनकी हर बात की हामी भर दी… अपना समय भूल गई क्या जब उन्होंने कैसे हम सब पर...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-136

जय श्री राधे कृष्ण ……. "बाजहिं ढोल देहिं सब तारी, नगर फेरि पुनि पूँछ प्रजारी, पावक जरत देखि हनुमंता, भयहु परम लघु रूप तुरंता ।। भावार्थ:- ढोल बजते हैं, सब लोग तालियाँ पीटते हैं । हनुमान जी को नगर में...

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क्रोध

क्रोध रमा जैसे ही रसोई से बाहर आई वैसे ही रमेश चिल्ला उठा कि आज यह सब्जी क्यों बना दी वैस हीे मूड खराब है और फिर यह बेकार सब्जी। रमा ने पूछा कि आज तो मैने आपकी मनपसंद गोभी...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-135

जय श्री राधे कृष्ण ……. "रहा न नगर बसन घृत तेला, बाढ़ी पूँछ कीन्ह कपि खेला, कौतुक कँह आए पुरबासी, मारहिं चरन करहिं बहु हाँसी ।। भावार्थ:- (पूँछ के लपेटने में इतना कपड़ा और घी - तेल लगा कि) नगर...

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लव-कुश-द्वारा-हनुमानजी को बंदी बनाना

लव-कुश-द्वारा-हनुमानजी को बंदी बनाना श्रीरामश्वमेध का अश्व भ्रमण करता हुआ महर्षि वाल्मीकि के पुनीत आश्रम के समीप पहुंचा| प्रातःकाल का समय था| सीतापुत्र लव मुनि कुमारों के साथ समिधा लेने वन में गए थे| वहां उन्होंने यज्ञाश्व के भाल पर...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-134

जय श्री राधे कृष्ण ……. "बचन सुनत कपि मन मुसुकाना,भाई सहाय सारद मैं जाना, जातुधान सुनि रावन बचना, लागे रचैं मूढ़ सोइ रचना ।। भावार्थ:- यह वचन सुनते ही हनुमान जी मन में मुस्कराये (और मन-ही-मन बोले कि) मैं जान...

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यमराज और डाकू

यमराज और डाकू एक साधु व डाकू यमलोक पहुंचे। डाकू ने यमराज से दंड मांगा और साधु ने स्वर्ग की सुख-सुविधाएं। यमराज ने डाकू को साधु की सेवा करने का दंड दिया। साधु तैयार नहीं हुआ। यम ने साधु से...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-133

जय श्री राधे कृष्ण ……. "पूंछहीन बानर तह जाइहि, तब सठ निज नाथहि लइ आइहि, जिन्ह कै कीन्हिसि बहुत बडा़ई, देखउं मै तिन्ह कै प्रभुताई ।। भावार्थ:- जब बिना पूंछ का यह बन्दर वहाँ (अपने स्वामी के पास) जायगा तब...

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चरित्र की असलियत :-तोते की राम राम कब तक??

चरित्र की असलियत:-तोते की राम राम कब तक? राजा भोज के दरबार में एक विद्वान आए। वे अनेक भाषाऐं धारा प्रवाह रूप से बोलते थे, भोज यह जानना चाहते थे कि उनकी मातृ-भाषा क्या है? पर संकोचवश पूछ न सके।...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-132

जय श्री राधे कृष्ण ……. "सुनत बिहसि बोला दशकंधर, अंग भंग करि पठइअ बंदर ।। भावार्थ:- यह सुनते ही रावण हंस कर बोला- अच्छा तो बंदर को अंग-भंग करके भेज (लौटा) दिया जाय…. । दो.- कपि के ममता पूंछ पर...

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