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Year Archives: 2024

Stories

देवी सती ने ली राम जी की परिक्षा

देवी सती ने ली राम जी की परिक्षा एक बार त्रेतायुग में भोले बाबा अपनी (पहली) पत्नी जगत जननी माता कसती के साथ दक्षिण प्रदेश मे ऋषि अगस्त्य जी के आश्रम गए। एक बार त्रेतायुग माहीं। शंभु गए कुंभज रिषि...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-141

जय श्री राधे कृष्ण ……. "ता कर दूत अनल जेहिं सिरजा, जरा न सो तेहि कारन गिरिजा, उलटि पलटि लंका सब जारी, कूदि परा पुनि सिंधु मझारी ।। भावार्थ:- (शिव जी कहते हैं) हे पार्वती! जिन्होंने अग्नि को बनाया, हनुमान...

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लक्ष्य प्राप्ति की राह

लक्ष्य प्राप्ति की राह एक किसान के घर एक दिन उसका कोई परिचित मिलने आया। उस समय वह घर पर नहीं था। उसकी पत्नी ने कहा: वह खेत पर गए हैं। मैं बच्चे को बुलाने के लिए भेजती हूं। तब...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-140

जय श्री राधे कृष्ण ……. "*साधु अवग्या कर फलु ऐसा, जरइ नगर अनाथ कर जैसा, जारा नगरु निमिष एक माहीं, एक बिभीषन कर गृह नाहीं ।। भावार्थ:- साधु के अपमान का यह फल है कि नगर अनाथ की तरह जल...

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मिट्टी का खिलौना

मिट्टी का खिलौना – एक गांव में एक कुम्हार रहता था, वो मिट्टी के बर्तन व खिलौने बनाया करता था, और उसे शहर जाकर बेचा करता था। जैसे तैसे उसका गुजारा चल रहा था, एक दिन उसकी बीवी बोली कि...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-139

जय श्री राधे कृष्ण ……. "तात मातु हि सुनिअ पुकारा, एहिं अवसर को हमहि उबारा, हम जो कहा यह कपि नहिं होई, बानर रूप धरें सुर कोई ।। भावार्थ:- हाय बप्पा! हाय मैया! इस अवसर पर हमें कौन बचाएगा ?...

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सच्चा न्याय

सच्चा न्याय एक बार एक राजा शिकार खेलने गया  उसका तीर लगने से जंगलवासियों में से किसी का बच्चा मर गया । बच्चे की माँ विधवा थी और यह बच्चा उसका एकमात्र सहारा था । रोती-पीटती विधवा न्यायधीश के पास...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-138

जय श्री राधे कृष्ण ……. "देह बिसाल परम हरुआई, मंदिर तें मंन्दिर चढ़ धाई, जरइ नगर भा लोग बिहाला, झपट लपट बहु कोटि कराला ।। भावार्थ:- देह बड़ी विशाल, परन्तु बहुत ही हल्की (फुर्तीली) है । वे दौड़ कर एक...

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पारिवारिक संस्कार व अनुशासन

पारिवारिक संस्कार व अनुशासन           उन महिलाओं के विषय में तो बहुत कुछ लिखा गया है, जो ससुराल में पीड़ित हुई हैं, लेकिन उन ससुराल वालों का क्या ? जो बहुओं से काफी दुःखी एवं पीड़ित हो रहे हैं...?....मेरे बहुत...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-137

जय श्री राधे कृष्ण ……. "निबुकि चढ़ेउ कपि कनक अटारींं, भईं सभीत निसाचर नारीं ।। भावार्थ:- बन्धन से निकल कर वे सोने की अटारियों पर जा चढ़े । उनको देखकर राक्षसों की स्त्रियाँ भयभीत हो गयीं ।। हरि प्रेरित तेहि...

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