सुविचार-सुन्दरकाण्ड-316
जय श्री राधे कृष्ण ….. "मैं पुनि उर धरि प्रभु प्रभुताई, करिहउँ बल अनुमान सहाई, एहिं बिधि नाथ पयोधि बँधाइअ, जेहिं यह सुजसु लोक तिहुँ गाइअ ।। भावार्थ:- मैं भी प्रभु की प्रभुता को हृदय में धारण कर अपने बल...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "मैं पुनि उर धरि प्रभु प्रभुताई, करिहउँ बल अनुमान सहाई, एहिं बिधि नाथ पयोधि बँधाइअ, जेहिं यह सुजसु लोक तिहुँ गाइअ ।। भावार्थ:- मैं भी प्रभु की प्रभुता को हृदय में धारण कर अपने बल...
वाल्मीकि रामायण -भाग 30 दण्डकारण्य में पहुँचकर रावण और मारीच ने श्रीराम के आश्रम को देखा। तब मारीच का हाथ पकड़कर रावण बोला, “मित्र! यह केले के वृक्षों से घिरा हुआ राम का आश्रम दिखाई दे रहा है। अब तुम...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "नाथ नील नल कपि द्वौ भाई, लरिकाईं रिषि आसिष पाई, तिन्ह कें परस किएँ गिरि भारे, तरिहहिं जलधि प्रताप तुम्हारे ।। भावार्थ:- (समुद्र ने कहा), हे नाथ ! नील और नल दो वानर भाई हैं।...
वाल्मीकि रामायण -भाग 29 मारीच के पूछने पर रावण ने अपना मंतव्य बताया, “तात मारीच! मैं इस समय बहुत दुःखी हूँ और केवल तुम ही मुझे सहारा दे सकते हो।” “मेरा भाई खर, महाबाहु दूषण, मेरी बहन शूर्पणखा, मांसभोजी राक्षस...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "सुनत बिनीत बचन अति कह कृपाल मुसुकाइ, जेहि बिधि उतरै कपि कटकु तात सो कहहु उपाइ ।। भावार्थ:- समुद्र के अत्यंत विनीत वचन सुन कर कृपालु श्री राम जी ने मुस्कुरा कर कहा - हे...