पिता का सम्मान
पिता का सम्मानमनोहर जी जल्दी-जल्दी बिस्तर पर छूट गई पेशाब को साफ करने में लगे थे ताकि बहू-बेटा ना देख लें। कल ही तो बहू काजल ने नई चादर बिछाई थी और बेटे रवि को सुनाया था कि अगर पापा...
पिता का सम्मानमनोहर जी जल्दी-जल्दी बिस्तर पर छूट गई पेशाब को साफ करने में लगे थे ताकि बहू-बेटा ना देख लें। कल ही तो बहू काजल ने नई चादर बिछाई थी और बेटे रवि को सुनाया था कि अगर पापा...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "पुनि सर्बग्य सर्ब उर बासी, सर्बरुप सब रहित उदासी, बोले बचन नीति प्रतिपालक, कारन मनुज दनुज कुल घालक ।। भावार्थ:- फिर सब कुछ जानने वाले, सबके हृदय में बसने वाले, सर्वरुप (सब रूपों में प्रकट),...
सबसे बड़ा भक्त भील कुमार एक पर्वत पर शिव जी का एक सुंदर मन्दिर था। यहाँ बहुत से लोग शिव जी की पूजा के लिए आते थे। उनमें दो भक्त एक ब्राह्मण और दूसरा एक भील, नित्य आने वालों में...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "अस प्रभु छाड़ि भजहिं जे आना, ते नर पसु बिनु पूंछ बिषाना, निज जन जानि ताहि अपनावा, प्रभु सुभाव कपि कुल मन भावा ।। भावार्थ:- ऐसे परम कृपालु प्रभु को छोड़ कर जो मनुष्य दूसरे...
भाईचारा महाभारत का प्रसंग है! जुए में हारने के बाद पाँच पांडव बारह वर्ष के वनवास के दिन वनों एवं पर्वतों में व्यतीत कर रहे थे! एक समय वे द्वैतवन के समीप ब्रह्मणों के साथ निवास कर रहे थे कि...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "रावन क्रोध अनल निज स्वास समीर प्रचंड, जरत बिभीषनु राखेउ दीन्हेउ राजु अखंड ।। भावार्थ:- श्री राम जी ने रावण के क्रोध रूपी अग्नि में जो अपनी (बिभीषण की) श्वास (वचन) रूपी पवन से प्रचंड...
बेटा नवविवाहिता पत्नी बार-बार अपनी सास पर आरोप लगाए जा रही थी और उसका पति बार-बार उसको अपनी हद में रहकर बोलने की बात कह रहा था। पत्नी थी कि चुप होने का नाम ही नही ले रही थी। जितनी...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "जदपि सखा तव इच्छा नाहीं, मोर दरसु अमोघ जग माहीं, अस कहि राम तिलक तेहि सारा, सुमन बृष्टि नभ भई अपारा ।। भावार्थ:- (और कहा) हे सखा! यद्यपि तुम्हारी इच्छा नहीं है, पर जगत में...
क्यों नहीं चढ़ता भगवान शिव को शंख से जल हम सब जानते है की पूजन कार्य में शंख का उपयोग महत्वपूर्ण होता है। लगभग सभी देवी-देवताओं को शंख से जल चढ़ाया जाता है लेकिन शिवलिंग पर शंख से जल चढ़ाना...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "अब कृपाल निज भगति पावनी, देहु सदा सिव मन भावनी, एवमस्तु कहि प्रभु रनधीरा, मागा तुरत सिंधु कर नीरा ।। भावार्थ:- अब तो हे कृपालु! शिव जी के मन को सदैव प्रिय लगने वाली अपनी...