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भक्ति का सही समय

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भक्ति का सही समय

दो बहनें चक्की पर गेहूं पीस रही थी, पीसते पीसते एक बहन गेहूं के दाने खा भी रही थी। दूसरी बहन उसको बीच बीच में समझा रही थी देख अभी मत खा घर जाकर आराम से बैठ कर चुपड़ कर पूड़ी बनाकर खायेंगे लेकिन फिर भी दूसरी बहन खा भी रही थी पीस भी रही थी। कुछ देर बाद गेहूं पीस कर कनस्तर में डालकर दोनों घर की तरफ चल पड़ी अचानक रास्ते में कीचड़ में गिरने से सारा आटा खराब हो गया।

कबीर जी यह सब देख रहे थे तो उन्होंने कहा :- “एटो कीचड़ में गिरा, कुछ हाथ न आया। पीसता पीसता चबाता, सो खेलता।।

अर्थात समस्याओं से भरे जीवन में ही अपनी प्रीत परमात्मा से लगाये रखनी है। न की अच्छा समय आने का इंतज़ार करना है। इसलिये उठते-बैठते, सोते-जागते दुनिया के काम करते हुये दिल उस सतगुरु या मालिक से लगाये रखो ।

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जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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