सुकून : कहानी: जो दिल को छू जाए
सुकून : कहानी: जो दिल को छू जाए पापा ने कुर्सी से उठने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुए। बहू आभा तेजी से उनकी सहायता के लिए उठी। उसने पापा को जोर लगा कर उठाया और उन्हें दीवान तक...
सुकून : कहानी: जो दिल को छू जाए पापा ने कुर्सी से उठने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुए। बहू आभा तेजी से उनकी सहायता के लिए उठी। उसने पापा को जोर लगा कर उठाया और उन्हें दीवान तक...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "अनुज सहित मिलि ढिग बैठारी, बोले बचन भगत भयहारी, कहु लंकेस सहित परिवारा, कुसल कुठाहर बास तुम्हारा ।। भावार्थ:- छोटे भाई लक्ष्मण जी सहित गले मिल कर उन को अपने पास बैठा कर श्री राम...
जैसी करनी वैसा फल, आज नहीं तो मिलेगा कल ! एक गाँव के एक जमींदार ठाकुर बहुत वर्षों से बीमार थे। इलाज करवाते हुए कोई डॉक्टर कोई वैद्य नहीं छोड़ा कोई टोने टोटके करने वाला नहीं छोड़ा। लेकिन कहीं से...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "अस कहि करत दंडवत देखा, तुरत उठे प्रभु हरष बिसेषा, दीन बचन सुनि प्रभु मन भावा, भुज बिसाल गहि हृदयँ लगावा ।। भावार्थ:- प्रभु ने उन्हें ऐसा कह कर दण्डवत करते देखा तो वे अत्यन्त...
परिपक्वता परिपक्वता क्या है???? बहुत अच्छे से समझाया गया है ,कृपया अवश्य पढ़िए :--- 1. परिपक्वता वह है - जब आप दूसरों को बदलने का प्रयास करना बंद कर दे, इसके बजाय स्वयं को बदलने पर ध्यान केन्द्रित करें।...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "श्रवन सुजसु सुनि आयउँ प्रभु भंजन भव भीर,त्राहि त्राहि आरति हरन सरन सुखद रघुबीर ।। भावार्थ:- मैं कानों से आप का सुयश सुनकर आया हूँ कि प्रभु भव (जन्म-मरण) के भय का नाश करने वाले...
जीवन में परेशानीयां तो लगी ही रहेंगी एक व्यक्ति था. उसके पास नौकरी, घर-परिवार, रुपया-पैसा, रिश्तेदार और बच्चे सभी कुछ था। कहने का सार यह है उस व्यक्ति के पास किसी चीज़ की कोई कमी नही थी। अब जीवन...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "नाथ दसानन कर मैं भ्राता, निसिचर बंस जनम सुरत्राता, सहज पापप्रिय तामस देहा, जथा उलूकहि तम पर नेहा ।। भावार्थ:- हे नाथ ! मैं दशमुख रावण का भाई हूँ । हे देवताओं के रक्षक !...
"हां....यही प्यार है.... लीजिए आपका नींबू पानी.....मुस्कुराते हुए सुधा ने रोज की तरह मार्निंग वाक से लौटे अपने पति मोहन से कहा थैंक्स यार .... कहते हुए मोहन ने भी मुस्कुराते हुए नींबू पानी लिया और घट घट करते हुए...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "सिंघ कंध आयत उर सोहा, आनन अमित मदन मन मोहा, नयन नीर पुलकित अति गाता, मन धरि धीर कही मृदु बाता ।। भावार्थ:- सिंह के से कंधे हैं, विशाल वक्ष:स्थल (चौड़ी छाती) अत्यन्त शोभा दे...