कृष्ण और रामनाम महिमा
कृष्ण और रामनाम की शक्ति व महिमा इतनी अगाध है कि हम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते! कृष्ण नाम महा-पापियों का भी उधार करता है, जैसे कि अजामिल। जब अजामिल ने ‘नारायण’ नाम पुकारा, तो उस समय वह बहुत डरा हुआ था, बेचैन था। वह भगवान का स्मरण नहीं कर रहा था; इसके एवज में, वह तो केवल अपने बेटे; ‘नारायण’ को पुकार रहा था, जिस का नाम संतों को वचन देते हुए अजामिल ने नारायण रखा था।
यहां समझने वाली बात यह है; कि भगवान का नाम सत्य ही नहीं, पूर्ण भी है, सच्चा है और सनातन है। भगवान अपने नाम में उपस्थित हैं व नाम और नामी में कोई भेद नहीं है!)
मृत्यु के समय, अजामिल निश्चित रूप से कोई महात्मा नहीं बन गया था; वास्तव में, वह तो एक घोर अपराधी के रूप में प्रसिद्ध था।
इसके अलावा, मृत्यु के समय शारीरिक स्थिति के कारण अजामिल की हालत पूरी तरह से दयनीय हो गई थी और ऐसी दुखदाई स्थिति में अजामिल के लिए भगवान का नाम लेना निश्चित रूप से असंभ्व था।
फिर भी, अजामिल ने अपने बेटे नारायण को असहाय भाव से पुकारा, जिससे उसका कल्याण हो गया। अब सोचने वाली बात यह है कि; उनके बारे में क्या कहा जाए, जो अजामिल के समान पापी नहीं हैं बल्कि निष्पाप हैं? वे निश्चित रूप से भगवान का नाम स्मरण करते हुए भगवत धाम पहुंच जाते हैं।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
इस छोटे से दृष्टांत से हमको यह समझना चाहिए कि दृढ़ता से यदि भगवन्नाम का जाप किया जाए तो भगवान कृष्ण की कृपा से निश्चित रूप से माया के चंगुल से भी बचा जा सकता है।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
राम नाम के जाप की सिफारिश उन सब के लिए भी की जाती है जो पापमय जीवन जीते हैं; यदि वे रामनाम का सहारा लेते हैं तो वे भी धीरे-धीरे, बिना अपराध किए, शुद्ध नाम जप करने लगेंगे और भगवान की भक्ति प्राप्त कर लेंगे।
राम नाम शुद्ध रूप से या निर्अपराध जप करने से व्यक्ति भगवान के प्रति अपनी भक्ति की वृद्धि कर सकता है।
(स्वामी प्रभुपाद की शिक्षाओं पर आधारित)
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राधे राधे श्याम राधे
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जय श्रीराम