जय श्री राधे कृष्ण …..
“सिंघ कंध आयत उर सोहा, आनन अमित मदन मन मोहा, नयन नीर पुलकित अति गाता, मन धरि धीर कही मृदु बाता ।।
भावार्थ:– सिंह के से कंधे हैं, विशाल वक्ष:स्थल (चौड़ी छाती) अत्यन्त शोभा दे रहा है । असंख्य कामदेवों के मन को मोहित करने वाला मुख है । भगवान के स्वरूप को देख कर विभीषण जी के नेत्रों में (प्रेमाश्रुओं का) जल भर आया और शरीर अत्यंन्त पुलकित हो गया । फिर मन में धीरज धर कर उन्होंने कोमल वचन कहे……..!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
