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Month Archives: June 2024

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डाकू और बढ़ई

डाकू और बढ़ई एक गाँव में एक बढ़ई रहता था। वह शरीर और दिमाग से बहुत मजबूत था। एक दिन उसे पास के गाँव के एक अमीर आदमी ने फर्नीचर फिट करने के लिए बुलाया। जब वहाँ का काम खत्म...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-202

जय श्री राधे कृष्ण ……. "पुनि सिरु नाइ बैठ निज आसन, बोला बच पाइ अनुसासन, जौ कृपाल पूँछिहु मोहि बाता, मति अनुरूप कहउँ हित ताता ।। भावार्थ:- फिर वे सिर नवा कर अपने आसन पर बैठ गये और आज्ञा पाकर...

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जिस दिन आप अच्छा कमाने लगेंगे उस दिन आ जाना मुझे लेने

जिस दिन आप अच्छा कमाने लगेंगे उस दिन आ जाना मुझे लेने जब मेरी शादी हुई तो मुझे पता था जिस व्यक्ति से मेरी शादी हो रही है वो काफी कम कमाता है, पर 35 साल की उम्र होने पर...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-201

जय श्री राधे कृष्ण ……. "सोइ रावन कहुँ बनी सहाई, अस्तुति करहिं सुनाई सुनाई, अवसर जानि बिभीषनु आवा, भ्राता चरन सीसु तेहिं नावा ।। भावार्थ:- रावण के लिए भी वही सहायता (संयोग) आ बनी है । मन्त्री उसे सुना-सुना कर...

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जरा सा मुस्कुरा के चलिए

जरा सा मुस्कुरा के चलिए वक़्त तक़रीबन रात के 8 बजे का रहा होगा।एक छोटा बच्चा मद्धिम रौशनी में अपनी पढ़ाई कर रहा था औऱ पास में ही उसकी माँ रोटियां पका रही थी । तभी बच्चे के पिता खाने...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-200

जय श्री राधे कृष्ण ……. "जितेहु सुरासुर तब श्रम नाहीं, नर बानर केहि लेखे माहीं ।। भावार्थ:- आप ने देवताओं और राक्षसों को जीत लिया तब तो कुछ श्रम ही नहीं हुआ, फिर मनुष्य और वानर किस गिनती में हैं...

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बाबा

बाबा "कहाँ जा रही हो?" विदा हो चुकी नवविवाहित दुल्हन सुषमा ने जब अचानक कार की खिड़की खोली तो दूल्हा निखिल तपाक से बोला। " मैं मेरा  बच्चा रोता छोड़ आयी, उसे चुप करा आऊं।" आंसू पौंछती हुई सुषमा ने...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-199

जय श्री राधे कृष्ण ……. "बैठेउ सभा खबरि असि पाई, सिंधु पार सेना सब आई, बूझेसि सचिव उचित मत कहहू, ते सब हँसे मष्ट करि रहहू ।। भावार्थ:- ज्यों ही वह सभा में जा कर बैठा, उस ने ऐसी खबर...

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28 दिन का PG

28 दिन का PG( पेइंग गेस्ट )आंटी जी ……., जयपुर में एक PG ( पेइंग गेस्ट ) रखती हैं। उनका अपना पुश्तैनी घर है, उसमे बड़े बड़े 10 - 12 कमरे हैं। उन्हीं कमरों में हर एक मे 3 bed...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-198

जय श्री राधे कृष्ण ……. "अस कहि बिहसि ताहि उर लाई, चलेउ सभा ममता अधिकाई, मंदोदरी हृदयँ कर चिंता, भयउ क़ंत पर बिधि बिपरीता ।। भावार्थ:- रावण ने ऐसा कह कर हँस कर उसे हृदय से लगा लिया और ममता...

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