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Month Archives: June 2024

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हनुमानजी की अद्भुत पराक्रम कथा

हनुमानजी की अद्भुत पराक्रम कथा राम रावण युद्ध के समय जब रावण ने देखा कि हमारी पराजय निश्चित है तो उसने अपने 60 हजार अमर राक्षसों को बुलाकर रणभूमि में भेजने का आदेश दिया ! ये ऐसे थे जिनको काल...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-217

जय श्री राधे कृष्ण ….. "जिअसि सदा सठ मोर जिआवा, रिपु कर पच्छ मूढ़ तोहि भावा, कहसि न खल अस को जग माहीं, भुज बल जाहि जिता मैं नाहीं ।। भावार्थ:- अरे मूर्ख ! तू जीता तो है सदा मेरा...

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“यह एक शिक्षक के जीवन की अंतिम शाम थी”

"यह एक शिक्षक के जीवन की अंतिम शाम थी" एक शिक्षक के नाते इस कहानी को जरूर पढ़िएगा:- दिनकर सर .....अपने  विद्यार्थियों के बीच  काफी लोकप्रिय  एक सेवा निवृत शिक्षक।   3 दिन पूर्व ही  शहर के एक अस्पताल में इलाज...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-216

जय श्री राधे कृष्ण ….. "बुध पुरान श्रुति संमत बानी, कही बिभीषन नीति बखानी, सुनत दसानन उठा रिसाई, खल तोहिं निकट मृत्यु अब आई ।। भावार्थ:- विभीषण ने पंडितों, पुराणों और वेदों द्वारा सम्मत (अनुमोदित) वाणी से नीति बखान कर...

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जब जागो तभी सवेरा

जब जागो तभी सवेरा बड़े आक्रोश में घर में घुसते ही कावेरी को आँगन में काम करती हुई केया भाभी दिखाई पड़ीं पड़ी तो पूछा, "भाभी मम्मी किधर हैं?"……"अरे! दीदी प्रणाम। अचानक आगमन आपका! क्या बात है दीदी? न हाय...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-215

जय श्री राधे कृष्ण ….. "तात चरन गहि मागउँ राखहु मोर दुलार, सीता देहु राम कहुँ अहित न होइ तुम्हार ।। भावार्थ:- हे तात! मैं चरण पकड़ कर आप से भीख माँगता हूँ (विनती करता हूँ), कि आप मेरा दुलार...

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हाँ मेरी मेघा बेटी

हाँ मेरी मेघा बेटी शादी के लिए देखने गई मां ने समधन से कहा, शुभम मेरा एकलौता बेटा है, जैसा नाम वैसा गुण । जब जब मैं दूसरा बच्चा न होने के लिए उदास होती तो रमेश कहते, ईश्वर ने...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-214

जय श्री राधे कृष्ण ….. "तव उर कुमति बसी बिपरीता, हित अनहित मानहु रिपु प्रीता, कालराति निसिचर कुल केरी, तेहि सीता पर प्रीति घनेरी ।। भावार्थ:- आप के हृदय में उल्टी बुद्धि आ बसी है । इसी से आप हित...

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आज वो घर पर है

आज वो घर पर है घर जाने के लिए निकला। अशांत और विचलित मन लिए सब्जी मंडी पहुँचा कुछ सब्जियाँ खरीदीं। आज कुछ देर हो गई थी तो घर पहुँचकर खिचड़ी अथवा मैगी बना लेने का विचार चल रहा था।...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-213

जय श्री राधे कृष्ण ….. "सुमति कुमति सब कें उर रहही, नाथ पुरान निगम अस कहहीं, जहाँ सुमति तहँ संपति नाना, जहाँ कुमति तहँ बिपति निदाना ।। भावार्थ:- हे नाथ! पुराण और वेद ऐसा कहते हैं कि सुबुद्धि (अच्छी बुद्धि)...

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