जय श्री राधे कृष्ण …….
” तात राम नहिं नर भूपाला, भुवनेस्वर कालहु कर काला, ब्रह्म अनामय अज भगवंता, ब्यापक अजित अनादि अनंता ।।
भावार्थ:- हे तात! राम मनुष्यों के ही राजा नहीं हैं, वे समस्त लोकों के स्वामी और काल के भी काल हैं । वे (संपूर्ण) ऐश्वर्य, यश, श्री, धर्म, वैराग्य एवं ज्ञान के भंडार भगवान् हैं । वे निरामय (विकार रहित), अजन्मा, व्यापक, अजेय, अनादि और अनन्त ब्रह्म हैं…..!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
