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खुशी…

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खुशी…

तुर्की के एक प्रसिद्ध कवि ने अपने नामचीन चित्रकार मित्र से अनुरोध किया वह ‘खुशी’ पर एक पेन्टिंग बनायें। लिहाजा,चित्रकार ने एक चरमराये बिस्तर पर मधुर नींद सोये एक परिवार की पेन्टिंग बनायी। उस बिस्तर का एक पाया भी टूटा हुआ था, और वहाँ दो ईंटे लगा रखी गयी थी। उस जर्जर घर की छत भी चू रही थी। बिस्तर पर घर का कुत्ता भी सुख की नींद सोया था।

 चित्रकार की यह पेन्टिंग अमर हो गयी। इस अमर चित्र को गहराई से देखिए और सोचिए कि ‘खुशी’ वास्तव मे है क्या!! दरअसल,मुझे तो यह चित्र देखकर लगता है, कि खुशी मुसीबतों की अनुपस्थिति नहीं, बल्कि मुसीबत की स्थिति को भी सहज भाव से स्वीकारने में है।

आपके पास जो भी है,उसमें अच्छा देखने की कोशिश करिए,चाहे कैसी भी बुरी स्थिति हो। ऐसी बातों के लिए दुखी होना छोड़ दीजिए जो आपके नियंत्रण में नहीं।  दिल जब कभी डूबने लगे,तो चित्रकार की यह अमर पेन्टिंग देख लिया करिए।

जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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