सूर्य और गुफा
एक दिन सूरज और एक गुफा में बातचीत हुई। सूरज को “अंधेरे” का मतलब समझने में परेशानी हो रही थी और गुफा को “प्रकाश” और “स्पष्टता” का मतलब समझ नहीं आ रहा था, इसलिए उन्होंने अपने स्थान परस्पर बदलने का फैसला किया। गुफा, सूरज के पास गई और कहा, “मैं जो देख सकती हूँ वह तो अद्भुत से भी परे है। सूरज अब तुम नीचे आओ और देखो कि मैं कहाँ रहती हूँ?”
सूरज गुफा में गया और कहा, “अरे, मुझे तो कोई अंतर नहीं दिख रहा है।”….ऐसा इसलिए हुआ कि जब सूरज नीचे गुफा में गया तो वह अपना उजाला भी साथ ले गया जिससे गुफा के अंधेरे से अंधेरे कोने भी रोशन हो गए। इसलिए सूरज को वहाँ गुफा के वातावरण में कोई अंतर नजर नहीं आया।
अतः एक कहावत के अनुसार, “प्रबुद्ध (enlightened) लोगों को कभी भी नरक में नहीं भेजा जा सकता या उन्हें अंधेरे में नहीं रखा जा सकता। वे हर समय अपने स्वर्ग को अपने साथ लेकर चलते हैं।”
हम इस धारणा के अधीन रहते है कि स्वर्ग एक जगह है जहाँ हम जाना चाहते हैं। पर हमें यह समझना चाहिए कि यह हमारी मनःस्थिति ( state of mind) है जो स्वर्ग या नर्क की कल्पना करती है।
यदि हम निराशा से भरे हुए हैं, नकारात्मकता, भय और संदेह से भरे हुए हैं, तो हम अनजाने में एक अंधेरी गुफा बन जाते हैं। यह हमारे भीतर का नर्क ही है जो हमें खोखला बनता है।
दूसरी ओर यदि हम सूर्य की तरह प्रकाशमान हैं, तो गुफा सा अंधेरा भी कोई मायने नहीं रखता। अगर हम यह समझ गए तो खराब से खराब परिस्थितियों में भी कहीं से कृपा हो जाएगी।
स्वर्ग को हमेशा अपने भीतर महसूस करें !! “भक्तिपूर्ण मनोदशा में श्रद्धा के साथ प्रज्ज्वलित बाहरी प्रकाश, अंदर एक लगन पैदा करता है जो आंतरिक प्रकाश, आंतरिक मार्गदर्शन तथा आंतरिक विवेक के लिए एक सच्ची खोज है। “
जय श्रीराम
Lalit Tripathi > Blog > Stories > सूर्य और गुफा
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा
All posts byLalit Tripathi
1 Comment
Leave a Reply to SUBHASH CHAND GARG Cancel reply
You Might Also Like
तपस्या का फल
September 9, 2025
श्राद्ध का प्रचलन कब और कैसे
September 8, 2025
मुसीबत से सामना
September 7, 2025
क्रोध से नुकसान
September 6, 2025
गुरु आखिर गुरु ही होता है
September 5, 2025
कृष्ण और हमारा जीवन
September 4, 2025
असतो मा सदगमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय