क्रोध
रमा जैसे ही रसोई से बाहर आई वैसे ही रमेश चिल्ला उठा कि आज यह सब्जी क्यों बना दी वैस हीे मूड खराब है और फिर यह बेकार सब्जी। रमा ने पूछा कि आज तो मैने आपकी मनपसंद गोभी बनाई है फिर क्यों चिल्ला रहे हो?….तुमने नमक ज्यादा डाला है और यह हलवे में मीठा कम है। रमेश ने उत्तर देते हुए सब्जी की कटोरी जोर से रखते हुए कहा। रमा ने कहा कि कल मेहमान के आने की वजह से काम बहुत बढ़ गया और फिर मांजी ने यह हलवे की फरमाइश की थी तो और काम बढ़ गया इसलिए जल्दबाजी मे यह सब गड़बड़ हो गई। शाम को जब रमेश सब्जी लेकर आया तो उस समय रमा बाहर अपनी सहेली के साथ बाहर गयी हुई थी, बच्चे ट्यूशन गए थे और रमेश की माँ सो रही थीं तो दरवाजे पे कुंडी लगी थी।
फिर से रमेश को बहुत तेज गुस्सा आ गया और उस समय तो उसने अपनी माँ को जैसे तैसे जगा दिया पर बाद में रमा को बहुत डाटा कि उस ही समय अपनी सहेली के पास जाना था…. ?बाद में चली जाती…. ।
रमा इस रोज़ के रमेश के गुस्से को सहन नही कर सकती थी पर फिर उसे एक तरकीब सूझ गयी।अगले दिन जब रमेश ऑफिस जाने वाला था तो उसे रमा ने कहा कि, जब भी तुम्हे गुस्सा आया करे तो तब तुम एक गुब्बारा फुला कर उसमे सुई चुबा के फोड़ दिया करना औऱ फुटा हुआ गुब्बारा इस डब्बे में डाल दिया करना।रमेश को कुछ समझ न आया कि यह सब क्यों वह करे पर उसने यह सब करना शुरू कर दिया।
देखते ही देखते रमेश को पता लगने लगा कि उसे कितना गुस्सा आता है और उसने रमा से माफी मांगी। रमा ने उसे माफ करते हुए कहा कि जिस तरह से आप मुझ पर गुस्सा करते थे उस तरह से मै बहुत दुखी हो जाया करती थी।ठीक उसी तरह यह गुब्बारा भी आपकी सुई को सहन नही कर पाते थे और फुट जाते थे।
जय श्रीराम
Jai shree ram