पीठ पर एक छोटा सा बैग, धड़ पर पिंक टी शर्ट , आंखों पर फैंसी सा चश्मा, टखनों के ऊपर तक सीमित नेवी ब्लू पतलून और नीचे लॉफर शूज पहने स्पाइक हेयरकट वाला वो 18 -19 साल का कूल ड्यूड लड़का कान में ब्यूटूथ हेडसेट लगाए फोन पर बात करता हुआ ट्रेन में चढ़ा और मेरे सामने की सीट पर आ कर पसर गया। मेरे सामने ही था तो वो जो फोन पर बोल रहा था सुनाई दे रहा था… और वैसे भी कूल ड्यूड लोगों की बातें सुनने के लिए मेरी श्रवण इंद्रियां तनिक ज्यादा ही क्रियाशील हो उठती हैं क्योंकि मैं कभी कूल ड्यूड वाली लाइफ जी नहीं पाया ना…..
हां तो वो बच्चा फोन पर कुछ इस तरह बोल रहा था …हां बेबी बैठ गया हूं मैं ट्रेन में सीट भी मिल गई है। ओ बेबी आप चिंता क्यों करते हो ट्रेन से उतरते ही मैं होटल में खाना खा लूंगा। आप तो अपना बताओ खाना खा लिया क्या???….ओ स्वीटू आपको मेरी इतनी याद आ रही है। मुझे भी आपकी बहुत याद आएगी। अभी फॉर्म भरते ही दो दिन में वापस आ जाऊंगा तब तक अपना खयाल रखना ।।अब ये दो दिन तो जैसे तैसे निकल ही जायेंगे।
अरे रुको यार ये मम्मी भी ना बार बार कॉल किए जा रही है जबकि उनको पता है कॉल वेटिंग में है फिर भी किए जा रहे हैं कभी सुधरेंगे नहीं…बेबी आप होल्ड पर रहना। हां मम्मी क्या दिक्कत है क्यों बार बार फोन कर रही हो जब पता है मैं किसी से बात कर रहा हूं तो चैन से बात भी नहीं करने देती। हां तो मैं बैठ गया ट्रेन में इसमें क्या फोन कर के बताना था????। तो तुम दिलवाओगी क्या मुझे ट्रेन में सीट ?….अब एक एक बात की अपडेट देनी होगी क्या मुझे। हां हां पता है तुमने टिफिन रखा है कितनी बार बताओगी???? खा लूंगा मैं। हां कर दूंगा फोन पहुंचते ही। तो दो दिन भी नहीं रह सकती क्या तुम????? काम से जा रहा हूं मस्ती करने नहीं जा रहा। अब फोन मत करना तुम। हां खा लूंगा मैं टिफिन से अब प्लीज मुझे रेस्ट करने दो।
मम्मी का फोन कट पुनः लाइन पर होल्ड वाली जानू ….हां जानू सॉरी यार ना बेबी।।। ये मम्मी भी ना बस बात बात पर तंग करती रहती हैं। अब आज पूरी रात ट्रेन में आप मुझसे बातें करेंगी ताकि मेरा मूड सही हो जाए। और आपके बिना मेरा मन लग जाए। आपकी आवाज के सहारे ही सफर निकल जाएगा। लव यू टू बेबी।।
अब इस उमर में कूल ड्यूड को इतना ही झेल पाया मैं तो तीसरी रॉ में सीट खाली थी कूल ड्यूड की मधुर प्रेम वाणी को वहीं पर छोड़ तीसरी सीट पर चला आया। पर मन में वो वाणी ही घूम रही थी। परवाह मां करती हैं या जानू करती है ये बात कूल ड्यूड को कैसे समझाएं ये मनन कर रहा हूं। सम्मान मां को देना होता है या जानू को समझ जाओ री कूल ड्यूड।
पोस्ट इसीलिए लिखी है ताकि कभी न कभी घूम फिर कर इन कूल ड्यूड लोगों के पास पहुंच जाए। और एक निरीह, बेबस ,लाचार ,मजलूम ,,”प्रेमिका के प्यार से पूर्णतया आजीवन वंचित”, जवान प्राणी को सीट चेंज ना करनी पड़े। और ना ज्यादा दिमाग लगाना पड़े। मैंने तो लगा दिया।
अब आप मेरी कैटेगरी वाले लोग भी जुट जाओ दिमाग लगाने में ।
जय श्रीराम
ऐसे तीतर जब ठोकर खाकर गिरते हैं तो मां ही अपनी गोदी में पनाह देती है।
सत्य वचन सर… किन्तु समझने मे बहुत समय निकल जाता है
Thanks for giving space to my story on your website
Dr. Vikrant , This website belongs to all of us…..it’s a platform….You can send me more stories…I will try to post them on the website.
Jai Shree Ram