सुविचार-सुन्दरकाण्ड-47
जय श्री राधे कृष्ण ……. निज पद नयन दिए मन राम पद कमल लीन, परम दुखी भा पवनसुत देखि जानकी दीन….!! भावार्थ:- श्री जानकी जी नेत्रों को अपने चरणों में लगाए हुए हैं (नीचे की ओर देख रही हैं), और...
जय श्री राधे कृष्ण ……. निज पद नयन दिए मन राम पद कमल लीन, परम दुखी भा पवनसुत देखि जानकी दीन….!! भावार्थ:- श्री जानकी जी नेत्रों को अपने चरणों में लगाए हुए हैं (नीचे की ओर देख रही हैं), और...
40 बसन्त के बाद अपना कोई शौक ज़िन्दा रखे। आँखे बंद करके, फ़िल्म थ्री इडियट्स का हॉस्पिटल वाला वो सीन देखने की कोशिश करे जिसमे वो संवाद है, की 50 साल बाद, बूढ़ा होकर किसी ऐसे ही हॉस्पिटल में तु...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "छोटी छोटी नेकियां बड़ी बड़ी परेशानियों को टाल देती है, किसी के लिए अच्छा सोचना भी नेकी है, ये नेकी भी कर लेनी चाहिए..!! सुप्रभात आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो.....
जय श्री राधे कृष्ण ……. देखि मनहि महुँ कीन्ह प्रनामा, बैठेहिं बीति जात निसि जामा, कृस तनु सीस जटा एक बेनी, जपति हृदयँ रघुपति गुन श्रेनी…!! भावार्थ:- सीता जी को देख कर हनुमान जी ने उन्हें मन ही मन में...
पण्डित देवीदीन पाण्डे 174000 लाशे गिरी थीं ...700 मुगलों को अपने हाथों से काटने वाले योद्धा……यह थे श्रीराम मंदिर रक्षक पण्डित देवीदीन पाण्डे। पंडित देवीदीन जो सनेथू गांव अयोध्या के रहने वाले थे, जिनका जन्म सर्यूपारीण ब्राह्मण परिवार में हुआ...
जय श्री राधे कृष्ण ……. जुगुति विभीषन सकल सुनाई, चलेउ पवन सुत बिदा कराई, करि सोइ रुप गयउ पुनि तहवां, बन अशोक सीता रह जहवां….!! भावार्थ:- विभीषण ने (माता के दर्शन की) सब युक्तियां (उपाय) कह सुनाईं। तब हनुमान जी...
परमात्मा का पुरस्कार एक बहुत अरबपति महिला ने एक गरीब चित्रकार से अपना चित्र बनवाया, पोट्रट बनवाया। चित्र बन गया, तो वह अमीर महिला अपना चित्र लेने आयी। वह बहुत खुश थी। चित्रकार से उसने कहा, कि क्या उसका पुरस्कार...
जय श्री राधे कृष्ण ……. पुनि सब कथा बिभीषन कही, जेहि बिधि जनकसुता तहं रही, तब हनुमंत कहा सुनु भ्राता, देखी चहउँ जानकी माता ….!! भावार्थ:- फिर विभीषण जी ने श्री जानकी जी जिस प्रकार वहां (श्रीलंका में) रहती थीं,...
श्री हनुमान जी और बाली युद्ध की कथा कथा का आरंभ तब का है,,,जब बाली को ब्रम्हा जी से ये वरदान प्राप्त हुआ,,की जो भी उससे युद्ध करने उसके सामने आएगा,,उसकी आधी ताक़त बाली के शरीर मे चली जायेगी,,और इससे...
जय श्री राधे कृष्ण ……. जानत हूं अस स्वामि बिसारी, फिरहि ते काहे न होहि दुखारी, एहि बिधि कहत राम गुन ग्रामा, पावा अनिर्बाच्य विश्रामा…..!! भावार्थ:- जो जानते हुए भी ऐसे स्वामी श्री रघुनाथ जी को भुलाकर (विषयों के पीछे)...