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भगवान राम ने उडाई पतंग

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भगवान राम ने उडाई पतंग

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ऐसा माना जाता है भगवान राम ने मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की शुरुआत की थी । त्रेतायुग में भगवान श्री राम ने मकर संक्रांति के दिन ही अपने भाइयों और श्री हनुमान के साथ पतंग उड़ाई थी, इसलिए तब से यह परंपरा पूरी दुनिया में प्रचलित हो गई। प्राचीन भारतीय साहित्य और धार्मिक ग्रंथों में भी पतंगबाजी का काफी उल्लेख मिलता है। तमिल की तन्दनानरामायण में भी भगवान राम के पतंग उड़ाने का जिक्र है। प्रसिद्ध धार्मिक ग्रंथ ‘रामचरित मानस’ के आधार पर श्रीराम ने अपने भाइयों के साथ पतंग उड़ाई थी। इस संदर्भ में रामचरित मानस के ‘बालकांड’ में उल्लेख भी है।

‘राम इक दिन चंग उड़ाई। इन्द्रलोक में पहुंची जाई।।’

इस चौपाई को लेकर बड़ा ही रोचक प्रसंग है। कहा जाता है कि श्रीराम बालक अवस्था में थे। मकर संक्रांति के अवसर पर सूर्य के उत्तरायण होने पर अयोध्या में पर्व मनाया जा रहा था। पंपापुर से हनुमानजी को बुलवाया गया था, तब हनुमानजी बालरूप में थे। भगवान श्रीराम भाइयों और मित्र मंडली के साथ पतंग उड़ाने लगे। इसी दौरान उन्होंने पंतग के धागे को इतना ढीला कर दिया कि पतंग देवलोक तक पहुंच गई। तभी उस पतंग को देखकर इन्द्र के पुत्र जयंत की पत्नी बहुत आकर्षित हो गईं। वह उस पतंग और पतंग उड़ाने वाले के प्रति सोचने लगीं।

‘जासु चंग अस सुन्दरताई। सो पुरुष जग में अधिकाई।।’

जयंत की पत्नी ने आकर्षक पतंग को लेकर सोच में पड़ गईं कि जब पतंग इतनी सुंदर है तो इसे उड़ाने वाला कितना सुंदर होगा? मन में इस भाव के चलते उन्होंने पतंग पकड़ ली और अपने पास रख ली। उन्होंने सोचा उड़ाने वाला अपनी पतंग लेने के लिए अवश्य आएगा, वह प्रतीक्षा करने लगीं। उधर पतंग पकड़ लिए जाने के कारण पतंग दिखाई नहीं दी, तब बालक श्रीराम ने बाल हनुमान को उसका पता लगाने के लिए भेजा।

‘तिन तब सुनत तुरंत ही, दीन्ही छोड़ पतंग। खेंच लइ प्रभु बेग ही, खेलत बालक संग।’

पवनपुत्र बाल रूप हनुमानजी आकाश में उड़ते हुए इन्द्रलोक पहुंचे। वहां जाकर उन्होंने देखा कि एक स्त्री उस पतंग को अपने हाथ में पकड़े हुए खड़ी है। हनुमान जी ने स्त्री से पतंग देने का आग्रह किया। इस पर जयंत की पत्नी ने कहा ‘यह पतंग किसकी है?’ वो पतंग उड़ाने वाले के दर्शन करना चाहती हैं। हनुमान जी यह सुनकर लौट आए और सारा वृत्तांत श्रीराम को कह सुनाया।

इसके बाद भगवान श्रीराम ने यह सुनकर हनुमान को वापस भेजा कि वे उन्हें चित्रकूट में अवश्य ही दर्शन देंगे। हनुमान ने यह उत्तर जयंत की पत्नी को कह सुनाया, जिसे सुनकर जयंत की पत्नी ने पतंग छोड़ दी। इस अद्भुत प्रसंग के आधार पर मकर संक्रांति और पतंग की प्राचीनता का पता चलता है।

जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
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