सुविचार-सुन्दरकाण्ड-19
जय श्री राधे कृष्ण ……. बन बाग उपबन बाटिका सर कूप बापीं सोहहीं, नर नाग सुर गंधर्ब कन्या रुप मुनि मन मोहहीं , कहुँ माल देह बिसाल सैल समान अतिबल गर्जहीं, नाना अखारेन्ह भिरहिं बहुबिधि एक एकन्ह तर्जहीं…..!! भावार्थ:- वन...
जय श्री राधे कृष्ण ……. बन बाग उपबन बाटिका सर कूप बापीं सोहहीं, नर नाग सुर गंधर्ब कन्या रुप मुनि मन मोहहीं , कहुँ माल देह बिसाल सैल समान अतिबल गर्जहीं, नाना अखारेन्ह भिरहिं बहुबिधि एक एकन्ह तर्जहीं…..!! भावार्थ:- वन...
भगवान् किसके दास होते हैं? वृन्दावन में एक भक्त को बिहारी जी के दर्शन नहीं हुए। लोग कहते कि अरे! बिहारीजी सामने ही तो खड़े हैं। पर वह कहता कि भाई! मेरे को तो नहीं दीख रहे! इस तरह तीन...
जय श्री राधे कृष्ण ……. कनक कोट बिचित्र मनि कृत सुन्दरायतना घना , चउहट्ट हट्ट सुबट्ट बीथीं चारु पुर बहु बिधि बना, गज बाजि खच्चर निकर पदचर रथ बरूथन्हि को गनै, बहुरूप निसिचर जूथ अतिबल सेन बरनत नहिं बनै…..!! भावार्थ:-...
ससुराल की रीति एक लड़की विवाह करके ससुराल में आयी। घर में एक तो उसका पति था, एक सास थी और एक दादी सास थी। वहाँ आकर उस लड़की ने देखा कि दादी सास का बड़ा अपमान, तिरस्कार हो रहा...
जय श्री राधे कृष्ण ……. अति उतंग जलनिधि चहु पासा, कनक कोट कर परम प्रकासा……!! भावार्थ:- वह अत्यंत ऊंचा है। उसके चारों ओर समुद्र हैं । सोने के परकोटे (चहारदीवारी) का परम प्रकाश हो रहा है…..!! सुप्रभात आज का दिन...
जय श्री राधे कृष्ण ……. *उमा न कछु कपि कै अधिकाई, प्रभु प्रताप जो कालहि खाई, गिरि पर चढ़ि लंका तेहिं देखी, कहि न जाइ अति दुर्ग बिसेषी…!! भावार्थ:- (शिव जी कहते हैं) हे उमा! इसमें वानर हनुमान की कुछ...
पुण्य का फल देखना चाहता हूं... एक सेठ बस से उतरे, उनके पास कुछ सामान था। आस-पास नजर दौडाई, तो उन्हें एक मजदूर दिखाई दिया। सेठ ने आवाज देकर उसे बुलाकर कहा- "अमुक स्थान तक इस सामान को ले जाने...
जय श्री राधे कृष्ण ……. नाना तरु फल फूल सुहाए, खग मृग बृंद देखि मन भाए, सैल बिसाल देखि एक आगें, ता पर धाइ चढ़ेउ भय त्यागें……!! भावार्थ:- अनेकों प्रकार के वृक्ष फल - फूल से शोभित हैं। पक्षी और...
मनुष्यता एक ब्राह्मण यात्रा करते-करते किसी नगर से गुजरा बड़े-बड़े महल एवं अट्टालिकाओं को देखकर ब्राह्मण भिक्षा माँगने गया किन्तु किसी ने भी उसे दो मुट्ठी अन्न नहीं दिया आखिर दोपहर हो गयी। ब्राह्मण दुःखी होकर अपने भाग्य को कोसता...
जय श्री राधे कृष्ण ……. ताहि मारि मारुतसुत बीरा, बारिधि पार गयउ मतिधीरा, तहाँ जाइ देखी बन सोभा, गुंजत चंचरीक मधु लोभा…..!! भावार्थ:- पवन पुत्र धीर बुद्धि वीर श्री हनुमान जी उसको मार कर समुद्र के पार गए। वहां जाकर...