lalittripathi@rediffmail.com
Stories

एक बंधन ऐसा भी

266Views

एक बंधन ऐसा भी

अनुज नाम था उसका….मेरे आफिस में थर्ड ग्रेड वर्कर था….मेरा तबादला अभी यहाँ हुआ था आफिसर की पोस्ट पर मैने तीन चार दिन पहले ही जाईन करा था….!!! अनुज बहुत मेहनती व समझदार था मुझे तो दीदी ही बोलता था पर एक दिन मेरे जूनियर प्रशांत ने उसे डाँटते हु़ये बोला कि वो मेडम है….तो निधी मैम बोला करो बस तब से वो मुझे मैम बोलने लगा….पर जाने क्यूँ मुझे उसका दीदी बोलना अच्छा लगता था….!!!!

आज वो बहुत खुश था तो मैंने कहा…क्या हुआ अनुज आज बहुत खुश हो…????…. हाँजी मैम कल राखी है ना इसलिये घर जा रहा हूँ…!!!  मैंने कहा…अच्छा तुम्हारी बहन है..!!!  जोर से हँसता हुआ बोला….है ना पाँच है…तीन बड़ी शादीशुदा है व दो छोटी है…!!! मैंने कहा…तोहफे ले लिये बहनों के लिये…तो बोला आज खरीदूँगा ज्यादा मँहगे तो नहीं ले सकता पर जो भी…बोलकर जल्दी जल्दी अपना काम करने लगा…!!!!! उसे देखकर बहुत अच्छा लग रहा था…सच कहूँ तो आज भाई की कमी बहुत खल रही थी…मैं इकलौती बेटी हूँ अपनी मम्मी-पापा की….तभी मन में एक ख्याल आया और पहले अनुज की फाईल निकालकर उसके घर का पता लिख लिया व जल्दी ही आफिस से निकल गयी….इक नयी उंमग के साथ शॉपिंग की ढेर सारी और घर आ गयी…!!!!

मम्मी ने जाते से बोला…अरे ! निधी आज ये इतना सब क्या खरीद लायी….;;;;मैंने बोला राखी की तैयारी है मम्मी…वो हैरत से मेरा मुँह देखने लगी कि जो बेटी हर राखी पर उदास बैठी रहती है आज इतनी चहक रही है...फिर मैंने मम्मी अपनी प्लानिंग बताई और पापा को भी समझाया तो वो भी मान गये..!! आज राखी के दिन पहली बार मैं इतनी खुश थी व जल्दी जल्दी तैयार भी हो गयी…मैं ,पापा व मम्मी हम तीनों कार से अनुज के घर पहुँच गये….!!! दरवाजा खुला था व शोर आ रहा था सब बहनों में पहले कौन राखी बाँधेगा…यही मस्ती मजाक चल रहा था…बहुत सुंदर नजारा था…..तभी निधी को देख अनुज एकदम सकपका गया….!!! अरे मैम आप यहाँ कैसे….तो निधी ने राखी निकाली और बोली अगर आप सबको मंजूर हो तो आज पहले मैं राखी बाँधना चाहती हूँ….क्या मेरे भाई बनोगे अनुज…मेरी आँखों से आँसू बहने लगे….अनुज ने बोला मैम मैं आपको क्या बोलूँ….मैं आपको क्या दे सकता हूँ…?????

उसने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया….निधी ने राखी बाँधी और सभी तोहफे निकाल कर सभी को दे दिये….अनुज के लिये घड़ी लायी थी निधी वो भी उसके हाथ में बाँध दी और बोली…ये बंधन तोहफे का नही है….ये तो प्यार व विश्वास का है जो मुझे तुममें दिखा….अब से तुम मुझे मैम नही दीदी ही बोलना जैसे मुझे मिलते ही तुमने बोला था….

जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

2 Comments

Leave a Reply to SUBHASH CHAND GARG Cancel reply