lalittripathi@rediffmail.com
Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-17

125Views

जय श्री राधे कृष्ण …….

*उमा न कछु कपि कै अधिकाई, प्रभु प्रताप जो कालहि खाई, गिरि पर चढ़ि लंका तेहिं देखी, कहि न जाइ अति दुर्ग बिसेषी…!!

भावार्थ:- (शिव जी कहते हैं) हे उमा! इसमें वानर हनुमान की कुछ बड़ाई नहीं है। यह प्रभु का प्रताप है जो काल को भी खा जाता है। पर्वत पर चढ़कर उन्होंने लंका देखी। बहुत ही बड़ा किला है, कुछ कहा नहीं जाता……!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

Leave a Reply