lalittripathi@rediffmail.com
Quotes

आस्था एवं विश्वास

278Views

आस्था और विश्वास”
वृन्दावन की महिमा तभी है अगर भगवान कृष्ण की याद आये, हृदय द्रवित हो, अहं गल जाए बंधन छूट जाएँ। श्री चैतन्य महाप्रभु वृन्दावन आये एक पण्डा उनके साथ हो लिया। हर स्थान पर बोलता जाता कि कहाँ पर हमारे बन्सीधर ने कौन सी लीला की है।
एक स्थान आया पण्डा बोला, ये वो ही कदम्ब का पेड़ है जिस पर राधाकृष्ण झूला झूलते थे। यहाँ पर राधा जी का मोतियों का हार कान्हा से टूट गया वो बोली सारे मोती चुन कर इकट्ठे कर के मुझे दो। सारे मोती कान्हा ने इकट्ठे किये पर एक मोती ना मिला तो कान्हा ने बांसुरी से खोदा तो मोती ढूंढने को पर बन गयी “मोती झील”, राधा रानी जिद पर अड़ गयी मेरा एक मोती ला कर ही दो। फिर कान्हा ने एक पेड़ लगाया और कहा, “इस पर मोती जैसे फूल आयेंगे फिर तुम ले लेना ढेर सारे हार बनाना।” आज भी उस पेड़ पर मोती जैसे फूल आते हैं।
ये लीलाएँ पण्डा के मुख से सुनते ही महाप्रभु की आँखों में आँसू बहने लगे, मोती झील के किनारे लोटने लगे ब्रज धूलि में। “ये मेरे आराध्य देव की खोदी मोती झील है, ये वो ही कदम्ब का पेड़ है जिस पर दोनों झूला झूलते हैं।” हृदय द्रवीभूत हो गया। ब्रजरज में लौटने लगे अपने प्यारे की कृपामयी लीलाओं के सुनने मात्र से ही।
ना तो उन्होंने किसी आर्कयोलॉजिस्ट से पूछा, ना कोई तर्क किया कि क्या वाकई ये वो ही स्थान है या तुम गढ़ी हुई कहानी सुना रहे हो। कोई किन्तु परन्तु कुछ नहीं किया। भक्त ने सुना और हो गया हृदय द्रवित, गला रुंध गया, लीला में डूब गया और ब्रजरज में लौटने लगा। भगवान को तर्क करने से नहीं केवल प्रेम से, आस्था से, विश्वास से ही पाया जा सकता है।
पंडितों की दुनिया दूसरी होती है। विद्वानो की दूसरी दुनिया है और भक्तों की अलग। ब्रज का मार्ग तो प्रेम का मार्ग है, श्रद्धा का मार्ग है।
वृंदावन के वृक्ष को मर्म ना जाने कोय, डाल-डाल और पात-पात श्री राधे राधे होय..!!

जय श्री राम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

1 Comment

Leave a Reply to SUBHASH CHAND GARG Cancel reply