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स्प्राइट- परिवार का प्यार

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आज जब मैं अपने पूरे घर की साफ-सफाई कर चुकी थी, तो अचानक मेरे भाई ने मुझे फोन किया और चहकते हुए कहा, “दीदी मैं और मेरी पत्नी आपसे आज अभी मिलने आ रहे हैं।” मैं उनके नाश्ते के लिए कुछ तैयार करने के लिए अपनी रसोई में गयी, लेकिन मुझे उनकी आवभगत के लिए रसोई में कुछ भी नहीं मिला। बहुत सोच-विचार और खोज के बाद, मेरे हाथ केवल 2 संतरे लगे जो उनके सामने रख सकती थी। संख्या में कम न लगे इसलिए मैंने उनका तुरंत दो गिलास ठंडा जूस बना लिया।

जब मेरा भाई और उसकी पत्नी पहुंचे तो मैं उसकी सास को उनके साथ देखकर चौंक गयी, माँजी पहली बार हमसे मिलने आई थीं इसलिए मैंने उनको और भाभी को जूस के दो गिलास परोसे, और मैंने अपने भाई के सामने यह कहते हुए एक ग्लास पानी रख दिया, ‘मुझे पता है कि तुम्हें आज भी स्प्राइट (sprite) पसंद है।’

अभी उसने स्प्राइट का एक घूंट ही पिया था और महसूस ही किया था कि यह पानी है। कि अचानक….उसकी सास ने कहा, “बेटा मैं भी sprite ही पीना चाहूंगी। बुरा न माने तो बेटा मुझे भी sprite ही दे दो ” यहाँ मैं फंस गई थी और शर्मिंदगी में अटक सी गयी थी लेकिन मेरे भाई ने उससे यह कहकर मुझे बचा लिया, ‘ माँ… मैं आपके लिए रसोई में से एक साफ गिलास लेकर इसे अभी आधा- आधा कर लाता हूँ।’

थोड़ी देर बाद हमें किचन में ग्लास टूटने की आवाज सुनाई दी। फिर वह लटका से मुंह लेकर वापस आया और अपनी सास से बोला, ‘सॉरी… यह ग्लास मेरे हाथ से गिर गया और टूट गया लेकिन कोई बात नहीं माँ, मैं तुंरन्त पड़ोस की दुकान आपके मेरे लिए अभी sprite ले आता हूँ ‘।

उसकी सास ने मना कर दिया और मुस्कुराते हुए कहा, “इसकी कोई आवश्यकता नहीं बेटा, आज शायद मेरी किस्मत में sprite थी ही नहीं।”

आख़िरकार जब वे जा रहे थे तो मेरे भाई ने कुछ पैसे मेरे हाथ में रख दिए और कहा, “बिखरी sprite को रसोई से साफ करना मत भूलना दीदी वरना आपके हाथ की मिठास के कारण उसमें चींटियाँ आ जाएंगी।” और उसने मुझसे एक प्यारी सी मुस्कान के साथ विदा ली।

इस तरह मेरे भाई ने मेरी भावनाओं को समझा और मेरी कमी को छुपाया। यह परिवार का प्यार है जब आप किसी कठिन परिस्थिति में हों, तो उसका उपयोग दूसरों को उठाने के लिए करें। किसी को नीचा दिखाने से आप कभी बेहतर नहीं हो सकते!

“‘आप अपने भाई-बहनों, दोस्तों, परिवार, सहकर्मियों आदि के साथ कठिन समय मे कैसा व्यवहार करते हैं? क्या आप उस विकट समय मे उनकी शर्म को ढकते हैं या उन्हें और ज्यादा गड़बड़ कर देते हैं? ” यही है आज के चिंतन के लिये मेरा छोटा सा विचार”

जय श्री राम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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