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अंतर्मन का प्रेम

शहर की तंग गलियों के बीच एक पुरानी ताले की दुकान थी। लोग वहां से ताला-चाबी खरीदते और कभी-कभी चाबी खोने पर डुप्लीकेट चाबी बनवाने भी आते। ताले वाले की दुकान में एक भारी-भरकम हथौड़ा भी था जो कभी-कभार ताले...

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अवसर की पहचान

एक बार एक ग्राहक चित्रों की दुकान पर गया। उसने वहां पर अजीब से चित्र देखे। पहले चित्र मे चेहरा पूरी तरह बालों से ढका हुआ था और पैरों मे पंख थे। एक दूसरे चित्र मे सिर पीछे से गंजा...

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इत्र की सुगन्ध

जिस प्रकार असली फूलों को इत्र लगाने की जरूरत नहीं होती वो तो स्वयं ही महक जाया करते हैं। उसी प्रकार अच्छे लोगों को किसी प्रशंसा की जरूरत नहीं होती। वो तो अपने श्रेष्ठ कर्मों की सुगंधी से स्वयं के...

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मैं हु न

एक व्यक्ति का दिन बहुत खराब गया। उसने रात को ईश्वर से फ़रियाद की।  व्यक्ति ने कहा - भगवान , ग़ुस्से न हों तो एक प्रश्न पूछूँ ?  भगवान ने कहा - पूछ, जो पूछना हो पूछ।  व्यक्ति ने कहा...

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शेर और चार बैलों की कहानी

पुराने समय की बात है। चार बैल थे जो एक खेत में साथ मिलकर रहते और साथ-साथ चारा खाते थे। उनमें आपस में गहरी दोस्ती थी। उस जंगल में रहने वाले शेर ने कई बार कोशिश की कि वह उनमें...

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संघर्ष ही जीवन है

एक बार एक किसान परमात्मा से बड़ा नाराज हो गया ! कभी बाढ़ आ जाये, कभी सूखा पड़ जाए, कभी धूप बहुत तेज हो जाए तो कभी ओले पड़ जाये! हर बार कुछ ना कुछ कारण से उसकी फसल थोड़ी...

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समय और भाग्य

चमनलाल सारा दिन धूप में इधर-उधर घूम-फिर कर टूटा-फूटा सामान और कबाड़ जमा करता, फिर शाम को उसे बड़े कबाड़ी की दुकान पर बेचकर पेट भरने लायक कमा लेता था। एक दिन वह एक घर से पुराना सामान खरीद रहा...

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कर्म

एक शर्मा जी थे जो एक कपड़े की बहुत बड़ी फैक्ट्री के मालिक थे.. कुछ दिनों बाद शर्मा जी को प्रभु से लौ लग गयी.. उनके जीवन में ऐसा कुछ घटा कि उन्होंने अपनी फैक्ट्री और सारा कारोबार बंद कर...

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सुलझे हुए संस्कारो वाली

दोपहर तीन बजे के आसपास रामेश्वर बाबू ने बहु के कमरे में आवाज लगाते हुए कहा "ये भी कोई वक्त है खाने का और अभी ग्यारह बजे दिया था ना दूध वाला दलिया फिर अब तीन बजे है जो रोटी...

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राम जी की माया

एक बार कबीर जी ने साहूकार से एक सौ रूपये लिए और साधू संतों पर खर्च कर दिए.. और इकरार किया कि कुछ महीने के बाद सूद समेत दूँगा। महीने निकल गए। पर पैसे नही दिए।।  वह साहूकार भी बड़ा...

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