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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-230

जय श्री राधे कृष्ण ….. "भेद हमार लेन सठ आवा, राखिअ बाँधि मोहि अस भावा, सखा नीति तुम्ह नीकि बिचारी, मम पन सरनागत भयहारी ।। भावार्थ:- (जान पड़ता है) यह मूर्ख हमारा भेद लेने आया है । इसलिए मुझे तो...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-229

जय श्री राधे कृष्ण ….. "कह प्रभु सखा बूझिऐ काहा, vकहइ कपीस सुनहु नरनाहा, जानि न जाइ निसाचर माया, कामरुप केहि कारन आया ।। भावार्थ:- प्रभु श्रीराम जी ने कहा - हे मित्र! तुम क्या समझते हो (तुम्हारी क्या राय...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-228

जय श्री राधे कृष्ण ….. "कह प्रभु सखा बूझिऐ काहा, कहइ कपीस सुनहु नरनाहा, जानि न जाइ निसाचर माया, कामरुप केहि कारन आया ।। भावार्थ:- प्रभु श्रीराम जी ने कहा - हे मित्र! तुम क्या समझते हो (तुम्हारी क्या राय...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-227

जय श्री राधे कृष्ण ….. "ताहि राखि कपीस पहिं आए, समाचार सब ताहि सुनाए, कह सुग्रीव सुनहु रघुराई, आवा मिलन दसानन भाई ।। भावार्थ :- उन्हें (पहरे पर) ठहराकर वे सुग्रीव के पास आये और उनको सब समाचार कह सुनाये...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-226

जय श्री राधे कृष्ण ….. "एहि बिधि करत सप्रेम बिचारा, आयउ सपदि सिंधु एहिं पारा, कपिन्ह बिभीषनु आवत देखा, जाना कोउ रिपु दूत बिसेषा ।। भावार्थ:- इस प्रकार प्रेम सहित विचार करते हुए वे शीघ्र ही समुद्र के इस पार...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-225

जय श्री राधे कृष्ण ….. "जिन्ह पायन्ह के पादुकन्हि भरतु रहे मन लाइ, ते पद आजु बिलोकिहउँ इन्ह नयनन्हि अब जाइ ।। भावार्थ:- जिन चरणों की पादुकाओं में भरत जी ने अपना मन लगा रखा है, अहा ! आज मैं...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-224

जय श्री राधे कृष्ण ….. "जे पद जनकसुताँ उर लाए, कपट कुरंग संग धर धाए, हर उर सर सरोज पद जेई, अहोभाग्य मैं देखिहऊँ तेई ।। भावार्थ:- जिन चरणों को जानकी जी ने हृदय में धारण कर रखा है, जो...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-223

जय श्री राधे कृष्ण ….. "देखिहउँ जाइ चरन जलजाता, अरुन मृदुल सेवक सुखदाता, जे पद परसि तरी रिषिनारी, दंडक कानन पावनकारी ।। भावार्थ:- (वे सोचते जाते थे) मैं जाकर भगवान के कोमल और लाल वर्ण के सुंदर चरण कमलों के...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-222

जय श्री राधे कृष्ण ….. "रावन जबहिं बिभीषन त्यागा, भयउ बिभव बिनु तबहिं अभागा, चलेउ हरषि रघुनायक पाहीं, करत मनोरथ बहु मन माहीं ।। भावार्थ:- रावण ने जिस क्षण बिभीषण को त्यागा, उसी क्षण वह अभागा वैभव (ऐश्वर्य) से हीन...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-221

जय श्री राधे कृष्ण ….. "अस कहि चला बिभीषनु जबहीं, आयू हीन भए सब तबहीं, साधु अवग्या तुरत भवानी, कर कल्यान अखिल कै हानी ।। भावार्थ:- ऐसा कह कर विभीषण जी ज्यों ही चले, त्यों ही सब राक्षस आयु हीन...

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