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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-240

जय श्री राधे कृष्ण ….. "सिंघ कंध आयत उर सोहा, आनन अमित मदन मन मोहा, नयन नीर पुलकित अति गाता, मन धरि धीर कही मृदु बाता ।। भावार्थ:- सिंह के से कंधे हैं, विशाल वक्ष:स्थल (चौड़ी छाती) अत्यन्त शोभा दे...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-239

जय श्री राधे कृष्ण ….. "बहुरि राम छबिधाम बिलोकी, रहेउ ठटुकि एकटक पल रोकी, भुज प्रलंब कंजारुन लोचन, स्यामल गात प्रनत भय मोचन ।। भावार्थ:- फिर शोभा के धाम श्री राम जी को देख कर वे पलक (मारना) रोक कर...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-238

जय श्री राधे कृष्ण ….. "सादर तेहिं आगें करि बानर, चले जहाँ रघुपति करुनाकर, दूरिहि ते देखे द्वौ भ्राता, नयनानंद दान के दाता।। भावार्थ:- विभीषण जी को आदर सहित आगे कर के वानर फिर वहाँ चले, जहाँ करूणा की खान...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-237

जय श्री राधे कृष्ण ….. "उभय भाँति तेहि आनहु हँसि कह कृपानिकेत, जय कृपाल कहि कपि चले अंगद हनू समेत ।। भावार्थ:- कृपा के धाम श्री राम जी ने हँस कर कहा - दोनों ही स्थितियों में उसे ले आओ...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-236

जय श्री राधे कृष्ण ….. "जग महुँ सखा निसाचर जेते, लछिमनु हनइ निमिष महुँ तेते, जौं सभीत आवा सरनाईं, रखिहउँ ताहि प्रान की नाईं।। भावार्थ:- क्योंकि हे सखे ! जगत में जितने भी राक्षस हैं, लक्ष्मण क्षण भर में उन...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-235

जय श्री राधे कृष्ण ….. "जग महुँ सखा निसाचर जेते, लछिमनु हनइ निमिष महुँ तेते, जौं सभीत आवा सरनाईं, रखिहउँ ताहि प्रान की नाईं।। भावार्थ:- क्योंकि हे सखे ! जगत में जितने भी राक्षस हैं, लक्ष्मण क्षण भर में उन...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-234

जय श्री राधे कृष्ण ….. "*निर्मल मन जन सो पावा, मोहि कपट छल छिद्र न भावा, भेद लेन पठवा दससीसा, तबहुँ न कछु भय हानि कपीसा ।। भावार्थ:- जो मनुष्य निर्मल मन का होता है, वही मुझे पाता है ।...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-233

जय श्री राधे कृष्ण ….. "पापवंत कर सहज सुभाऊ, भजनु मोर तेहि भाव न काऊ, जौं पै दुष्ट हृदय सोइ होई, मोरें सनमुख आव कि सोई ।। भावार्थ:- पापी का यह सहज स्वभाव होता है कि मेरा भजन उसे कभी...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-232

जय श्री राधे कृष्ण ….. "कोटि बिप्र बध लागहिं जाहू, आएँ सरन तजउँ नहिं ताहू, सनमुख होइ जीव मोहि जबहीं, जन्म कोटि अघ नासहिं तबहीं ।। भावार्थ:- जिसे करोड़ों ब्राह्मणों की हत्या लगी हो, शरण में आने पर मैं उसे...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-231

जय श्री राधे कृष्ण ….. "सुनि प्रभु बचन हरष हनुमाना, सरनागत बच्छल भगवाना ।। भावार्थ:- प्रभु के वचन सुन कर हनुमान जी हर्षित हुए (और मन ही मन कहने लगे कि) भगवान कैसे शरणागत वत्सल (शरण में आए हुए पर...

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